‘आर्थिक त्रासदी’ पर प्रधानमंत्री-वित्त मंत्री बेखबर, आरबीआई से कर रहे चोरी: राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए. आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है. यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है.

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राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए. आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है. यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है.

राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)
राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार को लाभांश और अधिशेष कोष के मद से 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्णय की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर ‘आर्थिक त्रासदी’ को लेकर बेखबर रहने का आरोप लगाया और दावा किया कि आरबीआई से ‘चोरी करने’ से अब कुछ नहीं होने वाला है.

गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए.’ उन्होंने दावा किया, ’आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है। यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है.’

वहीं, सोमवार को कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि आरबीआई से ‘प्रोत्साहन पैकेज’ लेना इस बात का सबूत है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि सरकार ने यह नहीं बताया कि इस पैसे का इस्तेमाल कहां होगा.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘सरकार द्वारा खुद को प्रोत्साहन पैकेज देना इस बात का सबूत है कि अर्थव्यवस्था संकट में है. सरकार अपनी खुद की एक इकाई यानि आरबीआई से मिलने वाले घरेलू अनुदान पर निर्भर है.’

सिंघवी ने कहा, ‘इस पैसे के उपयोग को लेकर किसी योजना का खुलासा नहीं किया गया. अगर यह बिना प्राथमिकता वाले क्षेत्र या फिर प्रशासनिक खर्च के लिए इस्तेमाल होता है तो फिर हम सब परेशानी में होंगे.’

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘जब यह सरकार खुद आरबीआई से प्रोत्साहन पैकेज ले रही है तो भला ऑटो, निर्माण, छोटे एवं लघु उद्योग जैसे खराब हालत वाले क्षेत्रों को प्रोत्साहन पैकेज क्या देगी.’

गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को लाभांश और अधिशेष कोष के मद से 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का सोमवार को निर्णय किया. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल ने रिजर्व बैंक की बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद यह कदम उठाया है.

वहीं, यूपीए सरकार में वाणिज्य मंत्री रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश की आर्थिक स्थिति पर कई तरह की आशंकाएं प्रकट कीं और कहा कि सरकार देश को दिवालियेपन की तरफ धकेल रही है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लगातार नकारने के अंदाज में नहीं रह सकते हैं. उन्होंने सरकार से तुरंत श्वेत पत्र लाकर वास्तविक स्थिति बताने की मांग की.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आते ही ऐसी बदइंतजामी की कि अर्थव्यवस्था चारों खाने चित हो गई है. उन्होंने बिमल जालान समिति की सिफारिश पर भी सवाल उठाया.

शर्मा ने कहा, ‘तमाम समितियां जो बनी हैं, उनकी सिफारिश में स्पष्ट कहा गया था कि 8 फीसदी से कम सीआरबी नहीं होना चाहिए. अब केंद्रीय बैंक के लिए सीआरबी 5.5 फीसदी पर ला दिया गया है जो इसका खतरनाक स्तर है.’

शर्मा ने कहा, ‘कल अगर वैश्विक मंदी आई तो रिजर्व बैंक के पास कोई चारा नहीं बचेगा कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आगे बढ़ सके.’

उन्होंने अर्जेंटीना का हवाला देकर कहा, ‘अर्जेंटीना ने सरकार को सरप्लस दिया और वहां की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई. हमारे देश में जो हालात बने हैं, वह रातोंरात नहीं बने. यह बदइंतजामी के कारण बने हैं. मोदी सरकार के आने के बाद से ही बदमइंतजामी हो रही है.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और उर्जित पटेल ने इसका विरोध किया, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी इसी समिति में अपना विरोध दर्ज करवाया था. अब उनका तबादला कर दिया गया है और उन्होंने वीआरएस की मांग की है. वहीं, पुराने रिजर्व बैंक गवर्नर डॉ. सुब्बाराव और डॉ. रेड्डी ने विरोध किया. डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने तो इसे विनाशकारी बताया.’

उन्होंने कहा, ‘जीडीपी वृद्धि दर लगातार घट रही है. औद्योगिक उत्पादन गिर गया है. रुपया कमजोर पड़ रहा है और एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया है. वास्तविक बेरोजगारी दर 20 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है. ऑटो सेक्टर मुश्किल में है और एनबीएफसी पर संकट है. कृषि क्षेत्र की समस्या जगजाहिर है. इस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था के सारे मानक लगातार कमजोर पड़ रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)