कोर्ट ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में लगी पाबंदियों को खत्म करने को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस जारी किया और सात दिन के भीतर इस मामले पर विस्तृत जवाब दायर करने को कहा है.
मालूम हो कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से राज्य में फोन लाइन और इंटरनेट सेवा बंद करने, मीडिया को खबरे छापने से रोकने जैसी कई पाबंदियां लगाई गई हैं.
Supreme Court also issued a notice to the Centre on the plea by Kashmir Times Executive Editor, Anuradha Bhasin, seeking a direction for relaxing restrictions on the internet, landline, & other communication channels. SC sought a detailed response from the Centre within 7 days. https://t.co/QnWhasbDpf
— ANI (@ANI) August 28, 2019
इसी मामले को लेकर ‘कश्मीर टाइम्स’ की संपादक अनुराधा भसीन ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर राज्य में मोबाइल इंटरनेट और टेलीफोन सेवा सहित संचार के सभी माध्यमों को बहाल किए जाने की मांग की थी ताकि मीडिया सही से अपना कामकाज शुरू कर पाए.
इसके अलावा कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से ही जुड़े अन्य याचिकाओं की भी सुनवाई की. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
Supreme Court refuses a request from the Centre to appoint an interlocutor for Jammu & Kashmir. https://t.co/QnWhasbDpf
— ANI (@ANI) August 28, 2019
कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले को लेकर दायर सभी याचिकाओं पर सुनवाई अक्टूबर महीने से पांच जजों वाली संविधान पीठ करेगी. केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने काफी जोर देकर कोर्ट से गुजारिश किया कि वे इस मामले में नोटिस जारी न करें क्योंकि इसका अन्य देश दुरुपयोग कर सकते हैं.
हालांकि कोर्ट ने मेहता के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और मोदी सरकार को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के लिए एक वार्ताकार नियुक्त करने के केंद्र की मांग को भी ठुकरा दिया.
Supreme Court said that the visit of Sitaram Yechury should only be to meet party leader Yousuf Tarigami as a friend, and not for any political purpose. https://t.co/mAM0SBAQAD
— ANI (@ANI) August 28, 2019
इसके अलावा जम्मू कश्मीर के ही संदर्भ में दो बन्दी प्रत्यक्षीकरण (हीबियस कॉर्पस) याचिकाएं दायर की गई थीं. इसमें से एक जम्मू कश्मीर निवासी मोहम्मद अलीम सईद द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को जम्मू कश्मीर में उनके परिवार से मिलने की अनुमति दी जाए. आगे की सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा.
वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी द्वारा दायर अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने येचुरी को उनकी पार्टी के सहयोगी मोहम्मद यूसुफ तारिगामी से मिलने की अनुमति दी, जो कश्मीर में नजरबंद है. कोर्ट ने येचुरी से कहा कि वे अपने दोस्त से मिलने के अलावा कुछ और नहीं करेंगे.