यूपी: मिड-डे मील के लिए सवर्ण छात्रों की अलग थाली, दलित बच्चों के साथ नहीं खाने का आरोप

बलिया के ज़िलाधिकारी ने आरोपों को निराधार बताते हुए मामले की जांच के आदेश दिए. वहीं, मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के एक प्राइमरी स्कूल में छात्रों से शौचालय साफ कराने का मामला सामने आया. कलेक्टर ने कहा कि अगर सफाई कराई है तो यह अच्छी बात है.

(प्रतीकात्मक फोटो: एएनआई)

बलिया के ज़िलाधिकारी ने आरोपों को निराधार बताते हुए मामले की जांच के आदेश दिए. वहीं, मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के एक प्राइमरी स्कूल में छात्रों से शौचालय साफ कराने का मामला सामने आया. कलेक्टर ने कहा कि अगर सफाई कराई है तो यह अच्छी बात है.

Ballia-ANI
(फोटोः एएनआई)

बलियाः उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक प्राइमरी स्कूल में मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले भोजन के दौरान कथित तौर पर जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है.

समाचार एजेंसी एएनआई ने इस घटना की कुछ तस्वीरें जारी की हैं. हालांकि जिलाधिकारी भवानी सिंह ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

आरोप है कि बलिया के रामपुर के प्राइमरी स्कूल में सामान्य वर्ग के बच्चे दलित बच्चों के साथ भोजन नहीं करते. इसके साथ ही ये बच्चे स्कूल से मिलने वाली थाली में नहीं खाते. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एक छात्र ने कहा कि स्कूल से मिलने वाली थाली में कोई भी बच्चा खा लेता है, इसलिए हम घर से अपनी थाली लेकर आते हैं.

हालांकि स्कूल के प्रिंसिपल पुरुषोत्तम गुप्ता का कहना है, ‘हम बच्चों से एक साथ बैठकर खाना खाने को कहते हैं लेकिन हमारे कहकर जाने के बाद वे दोबारा अलग-अलग बैठकर खाना खाने लगते हैं. हो सकता है कि उन्होंने ऐसा अपने घर से सीखा हो. हमने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की कि वे समान हैं लेकिन उच्च जाति के बच्चे निचली जाति के बच्चों से दूर रखने की कोशिश करते हैं.’

जिलाधिकारी भवानी सिंह ने मीडिया के जरिये मामला सामने आने पर गुरुवार को स्कूल का दौरा कर जांच की.

उन्होंने दावा किया कि प्रथमदृष्टया दलित छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप निराधार है लेकिन मामले की गहराई से जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी ट्वीट कर इस घटना की निंदा की. उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सरकारी स्कूल में दलित छात्रों को अलग बैठाकर भोजन कराने की खबर अति दुखद और निंदनीय है. बसपा की मांग है कि ऐसे घिनौने जातिवादी भेदभाव के दोषियों के खिलाफ राज्य सरकार तुरंत सख्त कानूनी कार्रवाई करें ताकि दूसरों को इससे सबक मिले और इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो.’

मालूम हो कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में बच्चों को रोटी के साथ सिर्फ नमक खिलाने का मामला सामने आया था.

मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूल में विद्यार्थियों से शौचालय साफ कराने का मामला सामने आया

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले  के सिहाडा स्थित एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में दो छात्रों से शौचालय साफ कराने का एक कथित वीडियो वायरल हुआ है.

मंगलवार को वायरल हुए इस वीडियो में कक्षा चौथी के दो विद्यार्थी झाडू से शौचालय साफ करते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि यह वीडियो सोमवार को बनाया गया है.

वीडियो के वायरल होने के बाद बच्चों के परिजन स्कूल की प्रिंसिपल गुलाब सोनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

कुछ खबरों में दावा किया गया है कि छात्रों को सफाई के लिए अतिरिक्त अंक दिए जाने का वादा किया गया था.

इन आरोपों को नकारते हुए स्कूल की प्रिंसिपल गुलाब सोनी ने कहा, ‘शौचालय की दीवार पर कीचड़ हो गया था. सोमवार को आधी छुट्टी के दौरान बच्चे बाहर निकले. शौचालय की दीवार पर कीचड़ था. वहां पर बच्चों ने टाइल्स पर पानी डाल उसे साफ कर दिया. इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई. हम हमारे यहां महीने में दो बार शौचालय की सफाई करवाते हैं.’

खंडवा जिले की कलेक्टर तन्वी सुंदरियाल इस पूरे मामले को सकारात्मक रूप में ले रही हैं. वह इस मामले को अच्छा काम बताती हैं.

तन्वी ने कहा, ‘अगर सफाई कराई है तो यह अच्छी बात है.’

उन्होंने जापान का उदाहरण देकर कहा कि वहां के सारे बच्चे काम में लगे रहते हैं, इसलिए उन्हें लगता है कि ये स्कूल हमारा है.

तन्वी ने कहा, ‘अगर किसी एक जाति विशेष से ही शौचालय साफ कराया जाता तो गलत होता. बच्चे शौचालय क्या पूरे स्कूल परिसर को साफ करते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है.’

गौरतलब है कि छात्रों के शौचालय साफ करने के दौरान इस स्कूल में पढ़ने वाले एक छात्र के परिजन मौके पर पहुंच गए थे और उन्होंने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया था.

वीडियो वायरल होने के बाद स्कूल की प्रिंसिपल गुलाब सोनी अवकाश पर चली गई हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)