कश्मीर में सेना पर ग्रामीणों को प्रताड़ित करने का आरोप, सेना का इनकार

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी कश्मीर के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों पर मारपीट और गंभीर रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. भारतीय सेना का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है.

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Jammu: CRPF personnel stand guard during restrictions, at Raghunath Bazar in Jammu, Monday, Aug 05, 2019. Restrictions and night curfews were imposed in several districts of Jammu and Kashmir as the Valley remained on edge with authorities stepping up security deployment. (PTI Photo)(PTI8_5_2019_000091B)
जम्मू-कश्मीर (फाइल फोटो: पीटीआई)

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी कश्मीर के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों पर मारपीट और गंभीर रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. भारतीय सेना का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है.

Jammu: CRPF personnel stand guard during restrictions, at Raghunath Bazar in Jammu, Monday, Aug 05, 2019. Restrictions and night curfews were imposed in several districts of Jammu and Kashmir as the Valley remained on edge with authorities stepping up security deployment. (PTI Photo)(PTI8_5_2019_000091B)
(पोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद भारतीय सेना पर दक्षिणी कश्मीर के गांवों में ग्रामीणों से मारपीट करने और उन्हें अमानवीय तरीके से प्रताड़ित करने के आरोप लगे हैं.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके संवाददाता ने उस क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांवों का दौरा किया, जहां ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा डंडों और केबल से पीटा गया, साथ ही बिजली के झटके भी दिए गए.

बीबीसी का कहना है कि वह इन आरोपों की पुष्टि अधिकारियों से नहीं कर सका, लेकिन उन्होंने लोगों के घाव और चोट के निशान देखे हैं. भारतीय सेना ने इन आरोपों को आधारहीन बताया है.

मालूम हो कि दक्षिणी कश्मीर को भारत विरोधी चरमपंथ का गढ़ माना जाता है. यह वही इलाका है जहां साल 2016 में आतंकी बुरहान वानी मारा गया था और बड़ी संख्या में इस क्षेत्र से चरमपंथी युवाओं के हथियार उठाने की खबर आती रहती है.

यहां सेना का एक कैंप है, जो नियमित रूप से इलाके में उग्रवादियों और पाक समर्थकों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान में लगा रहता है. गांव वालों का कहना है कि अक्सर दोनों ओर से होने वाली कार्रवाइयों में फंस जाते हैं और इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.

बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीणों का कहना है कि 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के विभिन्न प्रावधान हटने के बाद इस इलाके के लोगों के साथ सुरक्षा बलों द्वारा रात में छापेमारी, मारपीट और अत्याचार किए गए हैं.

हालांकि डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी किसी भी मरीज के बारे में बताने के लिए तैयार नहीं हुए, लेकिन ग्रामीणों ने कथित तौर पर सेना द्वारा हुई पिटाई से मिली चोटों के निशान दिखाए.

आरोप है कि 5 अगस्त का फैसला आने के बाद सेना घर-घर गई. दो भाइयों ने डर के चलते अपनी पहचान न बताते हुए कहा कि उन्हें एक रात उठाकर ले जाया गया, जहां गांव के और लोग भी इकठ्ठा थे.

एक ने बताया कि उनकी पिटाई की गई. उन्होंने बताया, ‘यह पूछने पर भी कि हमने क्या किया है, कुछ गलत किया, वे कुछ भी सुनने को राजी नहीं थे. उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस हमें पीटते रहे. आप गांव वालों से पूछ सकते हैं कि अगर हम झूठ बोल रहे हैं या हमने कुछ गलत किया है.’

उन्होंने आगे बताया, ‘उन्होंने हमारे शरीर के हर हिस्से पर मारा. लातों से, डंडों से. बिजली के झटके दिए, केबल से पीटा. पैरों के पीछे मारा. जब बेहोश हो गए तो होश में लाने के लिए बिजली के झटके दिए. जब डंडों की पिटाई पर चीखे तो उन्होंने हमारे मुंह में कीचड़ भर दिया.’

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सेना की कथित पिटाई से चोटिल एक ग्रामीण. (फोटो साभार: बीबीसी)

‘हमने कहा कि हम निर्दोष हैं. उनसे पूछा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी. मैंने उनसे कहा कि हमें पीटो मत, गोली मार दो. मैं तो ख़ुदा से मना रहा था कि वो हमें अपने पास बुला ले क्योंकि वो प्रताड़ना असहनीय थी.’

रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा बलों ने यह कार्रवाई इसलिए कि जिससे कोई ग्रामीण सेना के खिलाफ किसी प्रदर्शन में हिस्सा न ले. एक ग्रामीण युवक ने बताया कि सुरक्षा बल उससे लगातार पत्थरबाजों के नाम पूछ रहे थे, जब उसने कहा कि वे किसी को नहीं जानते तब उनसे चश्मा, कपड़े और जूते निकालने को कहा गया.

उन्होंने आगे बताया, ‘जब मैंने अपने कपड़े उतारे तो उन्होंने बेदर्दी से मुझे रॉड और डंडों से लगभग दो घंटे तक पीटा. जब बेहोश हो जाता तो, होश में लाने के लिए बिजली के झटके देते.’

इस युवक ने आगे कहा, ‘अगर उन्होंने मेरे साथ फिर ऐसा किया तो मैं कुछ भी कर गुजरूंगा. बंदूक उठा लूंगा, मैं हर रोज़ ये बर्दाश्त नहीं कर सकता. सैनिकों ने मुझसे कहा कि मैं अपने गांव में हर एक को चेता दूं कि अगर किसी ने भी सुरक्षा बलों के खिलाफ किसी भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया तो उन्हें ऐसे ही नतीजे भुगतने पड़ेंगे.’

रिपोर्ट के मुतबिक, जितने भी ग्रामीणों से बात की गयी, उनका मानना था कि सुरक्षा बलों ने ऐसा गांव वालों को डराने के लिए किया था ताकि वो प्रदर्शनों को लेकर डर जाएं.

एक अन्य नौजवान ने बीबीसी संवाददाता को बताया कि उन्हें सेना ने धमकी दी थी कि अगर वो उग्रवादियों के ख़िलाफ़ मुखबिर नहीं बने तो उन्हें फंसा दिया जाएगा. उनका आरोप है कि जब उन्होंने इससे इनकार किया तो उनकी इतनी पिटाई की गई कि दो हफ़्ते बाद भी वो पीठ के बल सो नहीं सके.

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर ये सब जारी रहा तो मेरे सामने अपना घर छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा. वे हमें ऐसे पीटते हैं जैसे हम जानवर हों. वे हमें इंसान नहीं मानते.’

रिपोर्ट में बताया गया है कि एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उन्हें 15-16 सैनिकों ने ‘केबल, बंदूकों, डंडों और शायद लोहे के रॉड’ से बुरी तरह पीटा. उन्होंने कहा, ‘मैं बेहोशी की हालत में पहुंच गया था. उन्होंने मेरी दाढ़ी इतनी ज़ोर से खींची कि लगा मेरे दांत बाहर निकल आएंगे.’

सेना की कथित पिटाई से चोटिल एक ग्रामीण. (फोटो साभार: बीबीसी)
सेना की कथित पिटाई से चोटिल एक ग्रामीण. (फोटो साभार: बीबीसी)

उन्होंने यह भी बताया कि मारपीट के दौरान मौजूद रहे एक बच्चे ने उन्हें बाद में बताया कि एक सैनिक ने उनकी दाढ़ी जलाने की कोशिश की थी, लेकिन एक अन्य सैनिक ने रोक दिया.

एक अन्य ग्रामीण ने बीबीसी संवाददाता को बताया कि कि दो साल पहले उनका भाई हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. हाल ही में सेना के एक कैंप में उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था. उनका आरोप है कि वहां उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उनका एक पैर टूट गया.

उन्होंने बताया, ‘मेरे हाथ-पैर बांधकर उल्टा लटका दिया गया. दो घंटे से भी अधिक समय तक मेरी बुरी तरह पिटाई की गई.’

भारतीय सेना का इनकार

बीबीसी द्वारा भारतीय सेना को इस बारे में सवाल भेजे गए थे, जिसके जवाब में सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि जैसा आरोप है, उस तरह से किसी भी नागरिक के साथ सेना द्वारा मारपीट नहीं की गई.

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा, ‘इस किस्म के कोई आरोप हमारे संज्ञान में नहीं है. संभव है कि ये आरोप विरोधी तत्वों की ओर से प्रेरित हों. नागरिकों को बचाने के लिए कदम उठाए गए थे लेकिन सेना की ओर से की गई कार्रवाई में कोई घायल या हताहत नहीं हुआ है.’

सेना की ओर से यह भी कहा गया कि ‘वह एक पेशेवर संगठन है जो मानवाधिकारों को समझता है और उसका सम्मान करता है. सेना ने यह भी कहा गया कि सभी आरोपों की ‘फौरन जांच’ की जा रही है.

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