‘लैटरल एंट्री’ के जरिए सरकार ने निजी क्षेत्र के नौ विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव नियुक्त किया

आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस, आईएफएस या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस, आईएफएस या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.

The IAS Probationers calls on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, in New Delhi on February 16, 2015.  The Minister of State for Development of North Eastern Region (I/C), Prime Minister’s Office, Personnel, Public Grievances & Pensions, Department of Atomic Energy, Department of Space, Dr. Jitendra Singh is also seen.
एक कार्यक्रम में प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो: पीआईबी)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपनी लैटरल एंट्री नीति के तहत विभिन्न क्षेत्रों में नौ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को शुक्रवार को विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव नियुक्त किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने इन नियुक्तियों को मंजूरी दी.

आमतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करियर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिवों के पद पर तैनात किया जाता है.

कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल जून में ‘लैटरल एंट्री’ व्यवस्था के जरिए संयुक्त सचिव रैंक के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. इन पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 जुलाई 2018 थी. इससे संबंधित सरकारी विज्ञापन सामने आने के बाद कुल 6,077 लोगों ने आवेदन किए थे.

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कुल 6,077 आवेदनों में से 89 को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था. इसके बाद उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए विस्तृत आवेदन फॉर्म भरने के लिए कहा गया था.

सरकार की एक अधिसूचना में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों के नौ संयुक्त सचिवों को तीन साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक नियुक्त किया गया है.

जिन लोगों को नियुक्त किया गया है उनमें काकोली घोष (कृषि मंत्रालय), अंबर दुबे (नागरिक उड्डयन), अरुण गोयल (वाणिज्य), राजीव सक्सेना (आर्थिक मामले), सुजीत कुमार बाजपेयी (पर्यावरण, वन), सौरभ मिश्रा (वित्त सेवा), दिनेश दयानंद जगदले (नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा), सुमन प्रसाद सिंह (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग) और भूषण कुमार (जहाजरानी) शामिल हैं.

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संयुक्त सचिव के पद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय वन सेवा (आईएफएस) और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिन्हें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा तीन चरणीय कठोर चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है.

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने पिछले साल जून में ‘लैटरल एंट्री’ के जरिए संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए थे.

लैटरल एंट्री, जो कि सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है, को नौकरशाही में नई प्रतिभाओं को लाने के लिए मोदी सरकार का एक महत्वाकांक्षी कदम माना जा रहा है.

हालांकि इसे लेकर उस समय मोदी सरकार की काफी आलोचना हुई थी. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की.

विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू करते हुए आरोप लगाया था कि अस्थायी प्रकृति की इस बहाली में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा तथा यह एक और संवैधानिक संस्था को बर्बाद करने की साजिश है.

प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली कहा था कि यह संस्थाओं के भगवाकरण का वर्तमान सरकार का प्रयास है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)