एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की विभिन्न यूनियनों के समूह ने कहा कि विरोध प्रदर्शन छह सितंबर तक चलेगा. सरकार ने लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी हवाई अड्डों को विकसित और उनका प्रबंधन करने का ठेका अडानी समूह को दे दिया है.
मुंबई: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत अडानी समूह को छह हवाई अड्डे सौंपने के विरोध में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के हजारों कर्मचारियों और अधिकारियों ने एक संयुक्त मंच के तहत बीते सोमवार को दिल्ली में एएआई के मुख्यालय और देशभर के हवाई अड्डों पर प्रदर्शन किया.
काम में बगैर कोई व्यवधान डाले दोपहर के भोजन के समय ‘शांतिपूर्ण’ प्रदर्शन किए गए. संयुक्त मंच के तहत एएआई की विभिन्न यूनियनें और संघ हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
पिछले साल सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत हवाई अड्डों के परिचालन, प्रबंधन और विकास के लिए लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी में हवाई अड्डों का निजीकरण करने का फैसला किया गया था.
संयुक्त मंच के अधिकारी ने कहा, ‘अधिकारियों सहित हमारे सदस्यों ने अडानी समूह को छह हवाई अड्डे सौंपने तथा सरकार के कई अन्य हवाई अड्डों का निजीकरण करने की योजना के खिलाफ, राजीव गांधी भवन (जो नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ एएआई का मुख्यालय भी है) और देश के विभिन्न अन्य एएआई के हवाई अड्डों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए प्रदर्शन किया.’
उन्होंने कहा कि हालांकि महाराष्ट्र में सार्वजनिक अवकाश के कारण राज्य में एएआई संचालित हवाई अड्डे पर प्रदर्शन नहीं किया जा सका. एएआई देश में लगभग 17,000 श्रमबल के साथ 120 हवाई अड्डों का प्रबंधन करता है.
एएआई की यूनियनों और संघों ने हाल ही में ‘निजीकरण के प्रभाव को समझाने के साथ-साथ एएआई और उसके कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए’ इस संयुक्त मंच का गठन किया था.
इन संगठनों में हवाई अड्डा प्राधिकार कर्मचारी यूनियन, एयरपोर्ट्स अथॉरिटी (हवाई अड्डा प्राधिकार) ऑफिसर्स एसोसिएशन और इंडियन एयरपोर्ट्स कामगर यूनियन शामिल हैं.
मंच के अधिकारी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन छह सितंबर तक जारी रहेगा. इसमें सभी कर्मचारी और अधिकारी काली पट्टी पहने रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘शुक्रवार (6 सितंबर) को दोपहर के भोजन के समय एक और प्रदर्शन किया जाएगा.’
यह मंच छह सितंबर को एएआई द्वारा संचालित हवाई अड्डों के निजीकरण के खिलाफ अपनी आगे की कार्ययोजना तैयार करेगा.
मंच ने 23 अगस्त को एएआई के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल को एक पत्र में गुजरात स्थित एक कंपनी समूह को छह हवाई अड्डों को सौंपने के बारे अपनी चिंताओं पर विस्तार से चर्चा करने के लिए एक बैठक की मांग की थी.
मालूम हो कि फरवरी में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) ने सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर सभी छह हवाई अड्डों को विकसित और उनका प्रबंधन करने का ठेका हासिल किया था.
एएआई ने मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद जुलाई में अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु हवाई अड्डों के परिचालन का काम अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सौंपने के संबंध में स्वीकृति पत्र जारी किए थे.
समूह को यह ठेका 50 साल तक के लिए मिला है. उसने सबसे ऊंची बोली लगाई थी. एएआई ने विजेता का चुनाव ‘मासिक प्रति यात्री शुल्क’ के आधार पर किया था.
तब एएआई ने बताया था कि प्रति यात्री शुल्क के आधार पर अडानी समूह ने अहमदाबाद के लिए 177 रुपये, जयपुर के लिए 174 रुपये, लखनऊ के लिए 171 रुपये, तिरुवनंतपुरम के लिए 168 रुपये, मेंगलुरु के लिए 115 रुपये और गुवाहाटी के लिए 160 रुपये की बोली लगाई. यह राशि अडानी समूह इन हवाई अड्डों का परिचालन मिलने पर एएआई को देगा.
इन छह हवाई अड्डों के अलावा सरकार निजीकरण के अगले चरण में 20-25 और हवाई अड्डों से बाहर निकलने की योजना बना रही है. इसकी जानकारी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने जुलाई में दी है.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के चेयरमैन गुरु प्रसाद महापात्र ने कहा था कि एएआई सालाना 15 लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही वाले इन हवाई अड्डों के नामों पर फैसला करेगी और अपनी सिफारिश जल्द ही नागर विमानन मंत्रालय को भेजेगी.
उन्होंने यह भी कहा था कि इन हवाई अड्डों के प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी हवाई अड्डों के दिलचस्पी लेने की भी उम्मीद है. मंच ने सरकार के कदम को मनमाना और एकतरफा और जल्दबाजी करने वाला फैसला करार दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)