सरकारी रिपोर्ट में खुलासा, मुद्रा लोन के सिर्फ 20 फीसदी लाभार्थियों ने नया बिजनेस खड़ा किया

मुद्रा योजना पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इस योजना के तहत जितने अतिरिक्त रोजगार पैदा हुए उसमें आधे से भी ज्यादा स्व-रोजगार थे.

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मुद्रा योजना पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इस योजना के तहत जितने अतिरिक्त रोजगार पैदा हुए उसमें आधे से भी ज्यादा स्व-रोजगार थे.

Mudra loan the wire
(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: श्रम मंत्रालय की एक ड्राफ्ट (मसौदा) रिपोर्ट से पता चलता है कि रोजगार पैदा करने और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने में सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की सफलता सवालों के घेरे में है.

अभी सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है. केंद्र की मोदी सरकार मुद्रा योजना को रोजगार देने के रूप में प्रसारित करती रही है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त किए गए इस रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मुद्रा लोन के पांच लाभार्थियों में से सिर्फ एक ने ही इस लोन को नया बिजनेस स्थापित करने में खर्च किया है, बाकी लोगों ने अपने पुराने बिजनेस को ही बढ़ाने में इसका इस्तेमाल किया.

रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में शामिल किए गए 94,375 लाभार्थियों में से सिर्फ19,396 (20.6 फीसदी) ने ही मुद्रा लोन को नया बिजनेस स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया. जबकि बाकी 74,979 (79.4 फीसदी) लाभार्थियों ने अपने मौजूदा बिजनेस के विस्तार में इसे खर्च किया.

अखबार के मुताबिक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सर्वेक्षण की ड्राफ्ट रिपोर्ट में पाया गया कि अप्रैल 2015 से दिसंबर 2017 के दौरान 1.12 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां सृजित की गईं. ये संख्या दिए गए कुल लोन के मुकाबले 10 फीसदी से भी कम है.

मुद्रा योजना के तहत 2015 से 2018 के बीच 5.71 लाख करोड़ रुपये के कुल 12.27 करोड़ लोन बांटे गए थे. हालांकि ड्राफ्ट रिपोर्ट में ये जानकारी नहीं है कि जितनी नई नौकरियां सृजित की गईं, उसमें से कितनी नई बिजनेस और कितने पुराने बिजनेस के द्वारा की गईं हैं.

मंत्रालय द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में सृजित की गईं अतिरिक्त नौकरियों के प्रकार की भी झलक है. कुल 1.12 करोड़ नौकरियों में से लगभग आधे (51.06 लाख) ‘स्व-रोजगार या कामकाजी मालिक’ वाली श्रेणी में थे, जिसमें बिना वेतनवाले परिवार के सदस्य भी शामिल हैं, जबकि 60.94 लाख नौकरियां ‘कर्मचारी या काम पर रखे गए कर्मचारी’ वाली श्रेणी में थीं.

केंद्र सरकार ने बेरोजगारी पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट का जवाब देने के लिए इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों का उपयोग करने की योजना बनाई थी. इसी साल चुनाव के ठीक बाद जारी की गई एनएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल के सर्वोच्च स्तर 6.1 फीसदी पर थी.

मुद्रा योजना को साल 2015 में लॉन्च किया गया था. इसके तहत बिना कोलैटरल के तीन श्रेणियों में शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से पांच लाख रुपये तक) और तरुण (पांच लाख रुपये से 10 तक) लोन दिए जाते हैं.