वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंज़ूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सीबीआई ने 15 मई, 2017 को उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने चिदंबरम को 19 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया.
तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें शाम में जेल में लाया गया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम को जेल नंबर सात में रखा जा सकता है. आम तौर पर प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े मामले के आरोपियों को इसी जेल में रखा जाता है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें जेल नंबर सात में रखा जाएगा. हमें अभी अदालत का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. आदेश के अनुरूप पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे.’
अदालत ने पूर्व वित्त मंत्री को उनकी दवाइयां अपने साथ जेल में ले जाने की अनुमति दी और निर्देश दिया कि उन्हें तिहाड़ जेल के अलग कोठरी में रखा जाए क्योंकि उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि चिदंबरम के लिए जेल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी.
अदालत ने चिदंबरम की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया. इस याचिका में एजेंसी की ओर से दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता ने आत्मसमर्पण करने की मांग की थी.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती देने वाली चिदंबरम की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था.
सीबीआई की दो दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद गुरुवार को चिदंबरम (73) को दिल्ली की अदालत में पेश किया गया था.
कांग्रेस नेता की 15 दिन की सीबीआई हिरासत की अवधि आज गुरुवार को समाप्त हो रही थी. विशेष अदालत ने उन्हें पांच चरणों में 15 दिनों के लिए सीबीआई हिरासत में भेजा था, जो 21 अगस्त की रात को उनकी गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ था.
चिदंरबम के अधिवक्ता ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की सीबीआई की दलीलों का विरोध किया और कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता घोटाले के कारण पैदा हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने गुरुवार को उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.
चिदंबरम को गुरुवार को विशेष अदालत में पेश किया गया. इससे कुछ ही घंटे पहले कांग्रेस नेता ने उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली थी.
गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद चिदंबरम को सीबीआई की हिरासत में भेजा गया था. पूर्व वित्त मंत्री को विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ की अदालत में पेश किया गया.
कुहाड़ ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का संज्ञान लेते हुए पूर्व वित्त मंत्री को दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था. उच्चतम न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि कांग्रेस नेता पांच सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे.
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की और उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत नामंजूर किए जाने के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
शीर्ष अदालत के फैसले के कुछ ही घंटे बाद एक अन्य विशेष अदालत ने एयरसेल मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को अग्रिम जमानत दे दी.
आईएनएक्स मामले में सीबीआई का प्रतिनिधित्व सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने किया जबकि चिदंरबम की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की.
वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में 2017 में ही मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.
संप्रग के दस साल शासन के दौरान चिदंबरम 2004 से 2014 तक देश के गृह मंत्री तथा वित्त मंत्री रहे थे. राष्ट्रीय राजधानी के जोर बाग इलाके में स्थित उनके आवास से सीबीआई ने उन्हें 21 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था.
सुनवाई के दौरान मेहता ने न्यायाधीश को प्रवर्तन निदेशालय मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश और सीबीआई मामले में उनके अपनी याचिकाओं को वापस लेने के बारे में सूचित किया.
सीबीआई ने अदालत से कहा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है क्योंकि वह एक ताकतवर नेता हैं इसलिए उन्हें आजाद नहीं छोड़ा जा सकता.
सिब्बल ने सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि चिदंबरम ने जांच को प्रभावित करने अथवा इसमें कोई बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया.
उन्होंने आगे कहा कि आईएनएक्स मीडिया से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिदंरबम प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं. इस मामले में शीर्ष अदालत ने चिदंबरम की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दी थी.
सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम आत्मसमर्पण करेंगे और प्रवर्तन निदेशालय उन्हें हिरासत में लेगा.
उन्होंने कहा, ‘मुझे (चिदंबरम) जेल (तिहाड़) क्यों भेजा जाना चाहिए’ और इस बात के लिए दबाव दिया कि प्रवर्तन निदेशालय को उन्हें हिरासत में लेना चाहिए.
चिदंबरम की तरफ से सिब्बल ने तर्क दिया, ‘मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला है. कोई आरोप पत्र नहीं है. वह कहते हैं कि मैं ताकतवर एवं प्रभावशाली व्यक्ति हूं. लेकिन उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है. साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का भी कोई सबूत नहीं है. किसी गवाह ने क्या ऐसा कुछ भी कहा है?’
सॉलिसीटर जनरल ने सिब्बल के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि वह जमानत के लिए दलील रख रहे हैं.
हालांकि सिब्बल ने चिदंबरम की ओर से कहा, ‘न्यायिक हिरासत के लिए आवेदन में दिए गए कारण का कोई आधार नहीं है. न्यायिक हिरासत में आपको मेरी क्या जरूरत है.’
जब सॉलिसीटर जनरल ने सिब्बल से पूछा कि वह किस राहत की मांग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैं (चिदंबरम) अपनी रिहाई के लिए दलील रख रहा हूं.’
मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी दलीलों को स्वीकार कर लिया है और सबूतों एवं गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने की जबरदस्त आशंका है और विभिन्न देशों को भेजे गए अनुरोध पत्रों के जवाब का इंतजार है.
विधि अधिकारी ने आरोप लगाया कि चिदंबरम विदेशों में बैंकों को प्रभावित कर रहे थे. वह जांच में असहयोग कर रहे थे और यदि उन्होंने प्रभावित किया तो बैंक जांच में सहयोग नहीं भी कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध का है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है.’ उन्होंने कहा कि चिदंबरम प्रभावशाली व्यक्ति हैं, चीजों पर उनका व्यापक नियंत्रण है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
मेहता ने एक गवाह के बयान का जिक्र किया और कहा कि चिदंबरम इस गवाह को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने अदालत में गवाह का नाम लेने से मना कर दिया.
विधि अधिकारी ने कहा कि चिदंबरम की रिहाई के बारे में विचार करने का मौका अभी नहीं आया है.
उन्होंने कहा कि चिदंबरम यकीनन जमानत के लिए बहस कर रहे हैं. इस पर सिब्बल ने कहा कि यह जमानत के लिए दलील नहीं है बल्कि रिहाई के लिए है.
सिब्बल ने कहा, ‘न्यायिक हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. इस अदालत के समक्ष कोई साक्ष्य नहीं रखा गया है. यह केवल दस्तावेज है. मैं क्या छेड़छाड़ करूंगा.’
मेहता ने कहा, ‘चिदंबरम की जमानत पर जब तक निर्णय नहीं कर लिया जाता है तब तक न्यायिक हिरासत के लिए यह मामला है.’
एयरसेल-मैक्सिस घोटाला: चिदंबरम और उनके पुत्र को मिली अग्रिम जमानत
इधर दिल्ली की एक अन्य अदालत ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एयरसेल-मैक्सिस मामलों में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति को बृहस्पतिवार को अग्रिम जमानत दे दी.
अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हैं क्योंकि मामलों में पहले ही आरोपमुक्त किए जा चुके आरोपियों द्वारा कथित रूप से प्राप्त किए गए धन के मुकाबले कथित शोधित धन की मात्रा काफी कम है, जो महज 1.13 करोड़ रुपये है.
ये मामले पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में कथित अनियमितताओं से जुड़े हैं.
सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि चिदंबरम ने 2006 में वित्त मंत्री रहने के दौरान एक विदेशी कंपनी को किस तरह एफआईपीबी मंजूरी प्रदान कर दी, जबकि केवल आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) को ही ऐसा करने की शक्ति प्राप्त थी.
ईडी एयरसेल-मैक्सिस मामले में एक अलग धनशोधन मामले की जांच कर रहा है जिसमें एजेंसी ने चिदंबरम पिता-पुत्र से पूछताछ की है.
चिदंबरम के करिअर का सबसे मुश्किल दौर
मद्रास (अब चेन्नई) के एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार से आने वाले चिदंबरम ने पारिवारिक कारोबार के बजाय राजनीति में कदम रखा और 1967 में उस समय कांग्रेस में शामिल हुए जब यह राज्य में सत्ता से बाहर हो गई थी.
उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया. वह 1969 में उस समय इंदिरा गांधी के साथ बने रहे जब कांग्रेस में विभाजन हो गया था. 1984 में वह राजीव गांधी के करीबी बने और उनकी सरकार में वाणिज्य राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली.
प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में भी वह राज्यमंत्री रहे. तब उनके पास वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी. हालांकि पार्टी के कुछ फैसलों से मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 1996 में नया राजनीतिक दल बनाया.
एक साल बाद ही उन्हें 13 दलों के गठबंधन वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में वित्त मंत्री के नाते ‘ड्रीम बजट’ पेश करने के लिए जाना गया और उन्होंने भारत के कर आधार को व्यापक करने में भूमिका निभाई.
बाद में चिदंबरम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनी संप्रग सरकार में वित्त मंत्री की कमान संभाली. वह 2004 से 2008 तक वित्त मंत्री रहे और दिसंबर 2008 से जुलाई 2012 तक गृह मंत्री रहे. बाद में संप्रग-2 के शेष कार्यकाल में वह वित्त मंत्री रहे.
वह 2014 में संप्रग-2 सरकार रहने तक केंद्रीय मंत्री रहे और उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु में अपनी परंपरागत लोकसभा सीट शिवगंगा से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. इससे पहले वह सात बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके थे.
2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद जांच एजेंसियों ने आईएनएक्स मीडिया, एयरसेल मैक्सिस और संप्रग-2 में चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए एयर इंडिया द्वारा विमानों की खरीद समेत भ्रष्टाचार के मामलों में उन पर तथा उनके परिवार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया.
वर्तमान में राज्यसभा सदस्य चिदंबरम जब वित्त मंत्री थे, तब उनके लिए गये अनेक फैसलों पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)