स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 को ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर के साथ बीते 22 जुलाई को रवाना किया गया था. ‘विक्रम’ लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई के नाम पर रखा गया है.
बंगलुरु: ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया. संपर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था.
विक्रम लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय उसकी सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया.
‘विक्रम’ ने ‘रफ ब्रेकिंग’ और ‘फाइन ब्रेकिंग’ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया.
इसरो अध्यक्ष के. सिवन इस दौरान कुछ वैज्ञानिकों से गहन चर्चा करते दिखे.
उन्होंने घोषणा की कि ‘विक्रम’ लैंडर को चांद की सतह की तरफ लाने की प्रक्रिया योजना के अनुरूप और सामान्य देखी गई, लेकिन जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था तो तभी इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया. डेटा का अध्ययन किया जा रहा है.
मालूम हो कि बीते 22 जुलाई को चंद्रमा के अनछुए पहलुओं का पता लगाने के लिए चंद्रयान-2 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से रवाना किया गया था.
प्रक्षेपित करने के तकरीबन 16 मिनट बाद भूस्थैतिक प्रक्षेपण यान ‘जीएसएलवी-एमके III एम-1’ ने इसे सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था.
कुल 3,850 किलोग्राम वजनी यह अंतरिक्ष यान ऑर्बिटर, ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर के साथ गया है. चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरना था.
पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद इसरो ने भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान ‘जीएसएलवी-एमके III एम-1’ के जरिये 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण किया था.
स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड ‘विक्रम’ लैंडर और दो पेलोड ‘प्रज्ञान’ रोवर में हैं.
‘विक्रम’ लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है.
चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में बीते 20 अगस्त को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था.
बता दें कि इससे पहले बीते 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया गया था. रॉकेट की खामियां दूर करने के बाद 22 जुलाई को इसे चांद के लिए रवाना किया गया था.
इससे 11 साल पहले 2008 में इसरो ने अपने पहले सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और यह 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिन तक काम करता रहा था.
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लैंडर का संपर्क टूट जाने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों से कहा, ‘देश को आप पर गर्व है. सर्वश्रेष्ठ के लिए उम्मीद करें. हौसला रखें. जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है.’
प्रधानमंत्री चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का सीधा नजारा देखने के लिए बंगलुरु स्थित इसरो केंद्र पहुंचे थे. प्रधानमंत्री ने इसरो के वैज्ञानिकों से कहा कि देश को उन पर गर्व है और उन्हें हौसला रखना चाहिए. मोदी ने इसरो प्रमुख के. सिवन की पीठ भी थपथपाई.
उन्होंने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘भारत को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है. उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है और भारत को हमेशा गौरवान्वित किया है. ये क्षण हौसला रखने के हैं और हम हौसला रखेंगे. इसरो अध्यक्ष ने चंद्रयान-2 पर अपडेट दिया. हमें उम्मीद है और हम अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में कठिन परिश्रम जारी रखेंगे.’
वहीं, ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट जाने के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश को इसरो के वैज्ञानिकों पर गर्व है.
राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, ‘चंद्रयान-2 मिशन के साथ इसरो की समूची टीम ने असाधारण प्रतिबद्धता और साहस का प्रदर्शन किया है. देश को इसरो पर गर्व है.’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करते हैं.’
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन, कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी इसरो वैज्ञानिकों से कहा कि वे निराश न हों और उनकी उपलब्धियों पर देश को गर्व है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)