प्रख्यात अधिवक्ता और पूर्व क़ानून मंत्री राम जेठमलानी का निधन

राम जेठमलानी को कई विवादित मामलों का केस लड़ने के लिए जाना जाता है. उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारों के पक्ष में केस लड़ा था. इसके अलावा सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में वह अमित शाह और हवाला मामले में लाल कृष्ण आडवाणी की भी पैरवी कर चुके हैं.

राम जेठमलानी. (फोटो: पीटीआई)

राम जेठमलानी को कई विवादित मामलों का केस लड़ने के लिए जाना जाता है. उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारों के पक्ष में केस लड़ा था. इसके अलावा सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में वह अमित शाह और हवाला मामले में लाल कृष्ण आडवाणी की भी पैरवी कर चुके हैं.

राम जेठमलानी. (फोटो: पीटीआई)
राम जेठमलानी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जाने माने वकील राम जेठमलानी का रविवार को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे.

उनके पुत्र महेश जेठमलानी ने बताया कि जेठमलानी ने नयी दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास में सुबह पौने आठ बजे अंतिम सांस ली.

महेश और उनके अन्य निकट संबंधियों ने बताया कि उनकी तबीयत कुछ महीनों से ठीक नहीं थी.

उनके बेटे ने बताया कि आने वाले 14 सितंबर को उनका 96वां जन्मदिन था. महेश ने बताया कि उनके पिता का अंतिम सरकार नई दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाहगृह में रविवार शाम को किया जाएगा.

साल 2010 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था. छठी और सातवीं लोकसभा में उन्होंने भाजपा के टिकट पर मुबंई से चुनाव जीता था.

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रहे. हालांकि, साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के ही खिलाफ लखनऊ सीट से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था. फिलहाल जेठमलानी लालू यादव की पार्टी राजद से राज्यसभा सांसद थे.

उनका जन्म तत्कालीन बॉम्बे प्रेसिडेंसी के सिंध प्रखंड के शिकारपुर में 14 सितंबर 1923 को हुआ था. यह जगह अब पाकिस्तान में है.

राम जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर ली थी और भारत के विभाजन तक अपने गृहनगर में कानून की प्रैक्टिस करते रहे थे.

उस समय वकील बनने की न्यूनतम आयु 21 थी, लेकिन इसके खिलाफ कोर्ट में जेठमलानी द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिए जाने के बाद विशेष छूट देते हुए उन्हें 17 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने की अनुमति मिल गई थी.

18 साल की उम्र पार करते ही उनकी शादी परंपरागत भारतीय रीति-रिवाजों के साथ दुर्गा से हुई थी. इसके बाद भारत विभाजन के कुछ समय पहले उन्होंने रत्ना साहनी से दूसरी शादी कर ली थी, जो पेशे से वकील थी.

उनके परिवार में दोनों पत्नियां और चार बच्चे हैं. दुर्गा से तीन बच्चे रानी, शोभा और महेश हैं, जबकि उनके एक बेटे जनक की मां रत्ना हैं. उनके बेटे महेश जेठमलानी और बेटी रानी जेठमलानी भी वकील हैं.

विभाजन के बाद वह एक शरणार्थी के तौर पर मुंबई आ गए थे और नए सिरे से ज़िंदगी शुरू की थी. बतौर वकील पहली बार उनका नाम साल 1959 में केएम नानावटी बनाम महाराष्ट्र सरकार का केस लड़ने के बाद सामने आया था.

राम जेठमलानी को कई बड़े और विवादित मामलों का केस लड़ने के लिए जाना जाता है. इसकी वजह से अक्सर उनकी आलोचना भी की जाती है.

शेयर बाजार से जुड़े हर्षद मेहता घोटाला और केतन पारीख मामले के अलावा वह नरसिम्हा राव रिश्वत मामले के वकीलों में एक रह चुके थे. साल 2011 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में राजीव गांधी के हत्यारों की तरफ से केस लड़ा था. इसके अलावा वह इंदिरा गांधी के हत्यारों के बचाव में भी केस लड़ चुके थे.

माफिया सरगना हाजी मस्तान का केस लड़ने के अलावा जेठमलानी जेसिका लाल हत्या मामले में दोषी मनु शर्मा का भी बचाव कर चुके हैं. उनका सबसे विवादित केस अफजल गुरु की फांसी का बचाव करना था.

हवाला कांड में लाल कृष्ण आडवाणी और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह की पैरवी जेठमलानी कर चुके थे. इतना ही नहीं जोधपुर यौन उत्पीड़न मामले में वह आसाराम के पक्ष से भी केस लड़ चुके हैं.

दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली से जुड़े मानहानि के मामले में वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी केस लड़ चुके हैं.

जेठमलानी के निधन पर राजनीति, वकालत, न्यायपालिका सहित अनेक क्षेत्रों के लोगों ने दुख जताया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘राम जेठमलानी के रूप में देश ने एक शानदार वकील और प्रतिष्ठित व्यक्ति को खो दिया है. उनका योगदान कोर्ट और संसद दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कभी भी किसी भी मुद्दे पर अपनी भावनाएं व्यक्त करने में हिचकिचाहट महसूस नहीं की. उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह सिर्फ अपने मन की बात बोलते थे. उन्होंने बिना किसी डर के ऐसा किया.’

मोदी ने कहा, ‘आपातकाल के दौरान उन्होंने जनता के लिए लड़ाई लड़ी. जरूरतमंद के साथ खड़ा होना भी उनकी बड़ी खासियत थी. मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं कि कई मौकों पर उनसे बात करने का मौका मिला. दुख की घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं. वह आज भले ही यहां न हों, लेकिन उनके किए गए कार्य हमेशा रहेंगे.’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुभवी वकील रामजठमलानी के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वे वाकपटुता के साथ सार्वजनिक मुद्दों पर अपना विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे. राष्ट्र ने एक प्रतिष्ठित न्यायविद् को खो दिया है.

उनके निधन पर गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर अपनी शोक संवेदनाएं जाहिर की हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)