जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पहली बार कुछ चुनिंदा पत्रकारों से बात करते हुए एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि लोग इंटरनेट के साथ पैदा नहीं हुए थे. हमारे लिए लोगों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित रखना अधिक महत्वपूर्ण है.
नई दिल्ली: अमेरिका विदेश मंत्रालय के जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता जताने और भारतीय अधिकारियों से मानवाधिकारों का सम्मान करने का अनुरोध किए जाने के एक दिन बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कश्मीर में प्रतिबंधों को हटाने का संबंध पाकिस्तान के व्यवहार से जोड़ दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, डोभाल ने कहा, ‘हम सभी प्रतिबंधों को हटाना चाहते हैं लेकिन यह पाकिस्तान के व्यवहार पर निर्भर करेगा. यह उकसाने और उसका जवाब देने वाली स्थिति है जिसमें पाकिस्तान उकसाने, अशांति पैदा करने, डराने और धमकाने की कोशिश कर रहा है.’
5 अगस्त से अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने के बाद मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में डोभाल ने यह भी कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था और निवासियों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता थी.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में हालात स्थिर हो जाएंगे. कश्मीर में दो हफ्ते बिताने के बाद मैंने जो अनुमान लगाए थे यह उससे बेहतर है. मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि अधिकतर कश्मीरी अनुच्छेद 370 को हटाने के पूरी तरह से समर्थन में हैं.’
एनएसए ने ये बातें चुनिंदा पत्रकारों से बात करते हुए की, जिन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया था. इनमें से आधे पत्रकार विदेशी मीडिया से थे.
जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित अनेक राजनेताओं को हिरासत में लिए जाने के सवाल पर डोभाल ने कहा कि इन सभी को सुरक्षा कारणों से हिरासत में रखा गया है और किसी पर भी कोई आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘इस स्तर पर हम राजनेताओं को बड़ी भीड़ की सभाओं को संबोधित करने की अनुमति नहीं दे सकते. ऐसी स्थिति का उपयोग आतंकवादियों द्वारा किया जा सकता है और यह राज्य सरकार पर निर्भर करेगा कि वह उन्हें कब रिहा करे और कब हालात सौहार्दपूर्ण हों.’
उन्होंने कहा कि दशकों से जम्मू-कश्मीर में राजनेताओं की लोगों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं थी और वर्तमान समय में, गांव के नेताओं और सरपंचों ने लोकप्रियता हासिल की है.
उन्होंने कहा, ‘जो कुछ किया जा रहा है वह सब जायज है और लोग उन्हें अदालत में चुनौती दे सकते हैं, जैसा कि पहले कुछ लोग कर चुके हैं. वे शिकायत कर सकते हैं और निवारण पाने का प्रयास कर सकते हैं. हम अदालत में अपना पक्ष रखेंगे या कीमत चुकाएंगे.’
जमीनी स्थिति का आकलन देते हुए डोभाल ने बताया कि जम्मू कश्मीर के 92 प्रतिशत क्षेत्र में प्रतिबंध हटा दिए गए हैं और धीरे-धीरे आगे के प्रतिबंध भी हटा दिए जाएंगे. हालांकि, उन्होंने इसके लिए किसी भी समय-सीमा का वादा नहीं किया.
उन्होंने स्वीकार किया कि इंटरनेट और मोबाइल टेलीफोन के अभाव ने काफी समस्याएं पैदा की. लेकिन उन्होंने कहा, ‘लोग इंटरनेट के साथ पैदा नहीं हुए थे. हमारे लिए लोगों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित रखना अधिक महत्वपूर्ण है.’
अनुच्छेद 370 को हटाने की पृष्ठभूमि पर बात करते हुए एनएसए ने कहा, संविधान में कई बार संशोधन किया गया है और भारत के लिए यह एक आंतरिक मामला है. यह (भाजपा) वह पार्टी है जो सत्ता में आई और जिसमें हर बार अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने की बात डाली. 2019 के चुनावों से ठीक पहले, पाकिस्तानी मीडिया भी रिपोर्ट कर रहा था कि भारत ऐसा कुछ करेगा.
राज्य के लोग 70 वर्षों तक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रहे हैं और इससे आखिरकार उन्हें अपने संवैधानिक अधिकार मिल जाएंगे. अनुच्छेद 370 ने विशेष दर्जा नहीं दिया लेकिन विशेष भेदभाव सुनिश्चित किया.
आकाओं ने आतंकियों से कहा, काम पूरा नहीं करने पर चूड़ियां भेजी जाएंगी: डोभाल
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने शनिवार को दो आतंकवादियों के मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि उनके आकाओं ने उन्हें कहा था कि अगर उन्होंने अपना काम ठीक से पूरा नहीं किया तो उन्हें चूड़ियां भेजी जाएंगी.
इसके साथ ही डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ के लिए करीब 230 आतंकवादियों को तैयार कर रखा है और उनमें से कुछ अशांति फैलाने के आदेश के साथ सीमा पार भी कर चुके हैं.
डोभाल ने यहां कुछ चुनिंदा पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सीमा के 20 किलोमीटर इलाके के दायरे में पाकिस्तानी संचार टावर हैं जहां से वे आतंकवादियों को संदेश भेज रहे हैं.
सुरक्षा सलाहकार ने कहा, ‘हमने उनके संदेश सुने जिसमें उन्होंने अपने लोगों से कहा ‘सेव के इतने ट्रक कैसे चल रहे हैं. क्या तुम उन्हें नहीं रोक सकते? क्या हम तुम्हें बंदूकों के बजाए चूड़ियां भेजें’.’
उन्होंने कहा कि सेव के करीब 750 ट्रक हर दिन घाटी से देश के दूसरे हिस्सों में जाते हैं. अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादी पाकिस्तानी उच्चारण में पंजाबी भाषा बोल रहे थे और वे फरार हैं.
इसके बाद दो आतंकवादी सोपोर में एक फल बाजार में गए और इलाके के प्रमुख फल व्यवसायी हमीदुल्ला राठेर का पता लगाकर सोपोर से पांच किलोमीटर दूर डांगरपुरा स्थित उनके घर पहुंचे.
बहरहाल, राठेर घर पर नहीं थे क्योंकि नमाज पढ़ने के लिए वह घर से बाहर गए थे. इसलिए आतंकवादियों ने शुक्रवार को उनके परिवार पर पिस्तौल से हमला किया जिसमें उनका 25 वर्षीय बेटा मोहम्मद इरशाद और इरशाद की ढाई वर्ष की बेटी असमा जान घायल हो गयी.
डोभाल ने कहा कि असमा की हालत गंभीर है और एम्स में इलाज के लिए उसे नयी दिल्ली भेजा गया है. उन्होंने कहा कि करीब 230 आतंकवादी आए हैं और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘सड़कों पर अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान के पास मौजूद यह एकमात्र हथियार है.’ डोभाल ने कहा कि हमारे सुरक्षा बल पाकिस्तानी ‘कुचक्रों’ से कश्मीरियों की जिंदगी बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने कहा कि ‘कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान के पास एकमात्र हथियार आतंकवाद है.’ अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद पांच अगस्त से कश्मीर में काफी पाबंदियां लगी हुई हैं. इन पाबंदियों में टेलीफोन या इंटरनेट सेवा का बंद होना भी शामिल है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)