चंद्रमा की सतह पर उतरते समय विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया था. संपर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था.
बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है.
Indian Space Research Organisation (ISRO) Chief, K Sivan to ANI:We've found the location of #VikramLander on lunar surface&orbiter has clicked a thermal image of Lander. But there is no communication yet. We are trying to have contact. It will be communicated soon. #Chandrayaan2 pic.twitter.com/1MbIL0VQCo
— ANI (@ANI) September 8, 2019
सिवन ने कहा, ‘जी हां, हमें लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है.’ ‘हार्ड लैंडिंग’ की वजह से उसे नुकसान पहुंचने के सवाल पर सिवन ने कहा, ‘हमें इस बारे में अभी कुछ नहीं पता.’ सिवन ने यह भी कहा कि ऑर्बिटर ने लैंडर का फोटो भी खींचा है.
उन्होंने कहा कि ‘विक्रम’ मॉड्यूल से संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी हैं और जल्द इसके बारे में जानकारी दी जाएगी. हालांकि सिवन ने एएनआई से कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हम संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं.
गौरलतब है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था.
लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया.
अगर भारत इसमें सफलता हासिल कर लेता तो सोवियत रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश होता जिसने चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान भेजा है. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है.
स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड ‘विक्रम’ लैंडर और दो पेलोड ‘प्रज्ञान’ रोवर में हैं.
‘विक्रम’ लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है.
चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में बीते 20 अगस्त को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था.
बता दें कि इससे पहले बीते 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया गया था. रॉकेट की खामियां दूर करने के बाद 22 जुलाई को इसे चांद के लिए रवाना किया गया था.
इससे 11 साल पहले 2008 में इसरो ने अपने पहले सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाए और यह 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिन तक काम करता रहा था.