बुधवार को लद्दाख की पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. भारतीय सेना के अनुसार प्रतिनिधि स्तर की बातचीत के बाद इस मसले को सुलझा लिया गया है.
नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच बुधवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास उत्पन्न तनाव को सुलझा लिया गया है. सैन्य सूत्रों ने बताया कि इस मसले को बातचीत के जरिए जल्द ही हल कर लिया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह झड़प बुधवार सुबह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलआईसी) के पास 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील, जिसका तीन चौथाई हिस्सा चीन के कब्जे में है, के उत्तरी किनारे पर हुई.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक गुरुवार को सूत्रों ने बताया कि इलाके में भारतीय सैनिकों की गश्त पर चीन के सैनिकों ने आपत्ति जताई थी लेकिन भारतीय सैनिकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई.
उन्होंने बताया कि सुबह की इस घटना के बाद दोनों पक्षों ने और सैनिकों को बुला लिया. शाम तक दोनों पक्षों के बीच गतिरोध कायम रहा.
हालांकि दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधि स्तर की बातचीत के बाद देर शाम इस विवाद को हल कर लिया गया. सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद सुलझ गया.
Indian Army: There was a face off between soldiers of Indian Army and Chinese Army near the northern bank of the Pangong lake. The face off was over after the delegation level talks between two sides there. De-escalated & disengaged fully after delegation level talks yesterday. pic.twitter.com/dZY9Mp04l2
— ANI (@ANI) September 12, 2019
सूत्रों के मुताबिक इस घटना का कारण भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भिन्न-भिन्न नजरिया है.
यह घटना ऐसे समय हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले महीने भारत की यात्रा पर आने वाले हैं.
एक सूत्र ने बताया कि इस तरह की घटनाओं के समाधान के लिए एक तय तंत्र है. इस घटना के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि यह गौर करना महत्वपूर्ण है कि मामले का कितनी जल्दी हल कर लिया गया.
उन्होंने कहा, ‘मामला सुलझ गया है. मैं समझता हूं कि यह गौर करना जरूरी है कि इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच मौजूदा तंत्र हैं.’
कुमार ने कहा, ‘यह गौर करना भी महत्वपूर्ण है कि मामला कितनी जल्दी सुलझ गया. इसका मतलब है कि भारत और चीन के बीच जो तंत्र मौजूद है, वह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है.’
भारत और चीन के बीच करीब 4,000 किमी लंबी सीमा है जिसका एक बड़ा हिस्सा विवादित है. जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में दोनों देश एलएसी द्वारा अलग किए गए हैं.
अगस्त 2017 में, भारतीय सेना ने पेंगोंग के किनारे चीनी घुसपैठ को नाकाम कर दिया था. चीनी सैनिकों के एक समूह ने दो क्षेत्रों में भारतीय इलाके में प्रवेश करने की कोशिश की थी. इस दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पत्थर फेंके थे. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
यह टकराव ऐसे समय में हुआ था जब सिक्किम सीमा पर डोकलाम के भूटानी क्षेत्र में दो महीने तक चले गतिरोध के कारण भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था.
गतिरोध खत्म होने के बाद भी चीन ने उत्तरी डोकलाम में स्थायी रूप से सैन्य बुनियादी ढांचे और हेलीपैड का निर्माण किया और सैनिकों को तैनात किया था.
विवाद की जगह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एलएसी झील से होते हुए जाती है लेकिन भारत और चीन इसकी वास्तविक स्थिति को लेकर एकमत नहीं हैं.
भारतीय सेना ने कहा है कि अगले महीने उसके सैन्य अभ्यास के कारण एलएसी पर भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं. बुधवार को भारतीय सेना ने अक्टूबर में एक अभ्यास आयोजित करने की अपनी योजना की घोषणा की थी जिसमें भारतीय वायु सेना और थल सेना संयुक्त रूप से अरुणाचल प्रदेश में एक वास्तविक युद्ध जैसे हालात का अभ्यास करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)