सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की आर्थिक वृद्धि दर सात साल के न्यूनतम स्तर पर है. अप्रैल से जून तिमाही में यह सात साल के निचले स्तर 5 फीसदी आ गई है, जो बीते साल की इसी अवधि में 8 फीसदी थी.
वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि कॉरपोरेट और पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की कमजोरियों के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि उम्मीद से ‘काफी कमजोर’ है.
आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम नए आंकड़े पेश करेंगे लेकिन खासकर कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों के कारण भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि उम्मीद से काफी कमजोर है.’
Gerry Rice, International Monetary Fund Spokesperson: ….and lingering weakness in some non-Bank financial companies and risks to the outlook are tilted to the downside, as we like to say. (2/2)
— ANI (@ANI) September 13, 2019
मनी भास्कर के मुताबिक, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात साल के सबसे कम स्तर पर है. अप्रैल से जून तिमाही में आर्थिक विकास दर सात साल के निचले स्तर 5 फीसदी तक पहुंच गई है. पिछले साल इसी अवधि में यह दर 8 फीसदी थी.
हालांकि गेरी राइस ने यह भी कहा कि इसके बावजूद भारत चीन से बहुत आगे और विश्व की सबसे तेजी से विकास करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
आईएमएफ ने 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 0.3 प्रतिशत प्वाइंट कम करके सिर्फ 7 फीसदी कर दिया है. आईएमएफ ने इसका कारण घरेलू मांग में होती कटौती को बताया है यानी अब वित्त वर्ष 2021 में विकास दर पहले के 7.5 फीसदी के अनुमान से घटकर 7.2 फीसदी रह गई है.
भारत सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग और कृषि के क्षेत्र में गिरावट के चलते आर्थिक विकास दर में यह गिरावट आई है. इससे पहले ऐसी गिरावट 2012-13 की अप्रैल से जून की तिमाही में 4.9 प्रतिशत दर्ज की गयी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)