शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री से यह भी जानना चाहा कि अगर ऐसा करना संभव हो तो इसके लिए कितना समय चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपनी रजिस्ट्री से कहा कि वह उसे सूचित करे कि क्या अयोध्या में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मुकदमे की सुनवाई का सीधा प्रसारण संभव है.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने रजिस्ट्री से यह भी जानना चाहा कि यदि ऐसा करना संभव हो तो ऐसा करने के लिए कितना समय चाहिए.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘रजिस्ट्री यह बताये कि क्या सीधा प्रसारण हो सकता है और ऐसा करने के लिये कितना समय लगेगा.’
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पूर्व विचारक के एन. गोविन्दाचार्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का शीर्ष अदालत में पूरा विश्वास है लेकिन इस प्रकरण के अधिकांश याचिकाकर्ता रोजाना सुनवाई के लिए नहीं आ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि चूंकि वे कार्यवाही देख नहीं सकते हैं, इसलिए इसका सीधा प्रसारण उन्हें सुनवाई के विवरण के बारे में जानकारी देने में मददगार होगा.
पीठ द्वारा आदेश पारित किए जाने के बाद सिंह ने न्यायालय से जानना चाहा कि यह जानकारी रजिस्ट्री को कब तक देनी है. इस पर पीठ ने कहा कि यह रजिस्ट्री पर निर्भर करता है.
जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने छह सितंबर को गोविन्दाचार्य की याचिका मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के पास भेज दी थी.
गोविन्दाचार्य ने अपनी याचिका में कहा है कि यदि अयोध्या प्रकरण की सुनवाई का सीधा प्रसारण संभव नहीं हो तो सुनवाई की ऑडियो रिकार्डिग या लिप्यांतर (ट्रांसलिटरेशन) कराया जाना चाहिए.
गोविन्दाचार्य ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत के 26 सितंबर, 2018 के फैसले का भी हवाला दिया था जिसमें संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में न्यायालय की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति दी गई थी.
याचिका में कहा गया है कि अयोध्या मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसी वजह से न्यायालय भी सप्ताह के सभी पांच कार्य दिवसों पर इसकी सुनवाई कर रहा है. चूंकि न्यायालय असाधारण मामले पर विचार कर रहा है, इसलिए इसकी तत्काल ऑडियो रिकार्डिंग शुरू की जानी चाहिए.
राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास विफल होने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ छह अगस्त से इस मामले की नियमित सुनवाई कर रही है.