सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि 2जी घोटाले, कोल ब्लॉक आवंटन और वोडाफोन मामले में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विदेशी निवेशकों को डरा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने द लीफलेट को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि देश में आई आर्थिक मंदी के लिए वे सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार ठहराते हैं.
मालूम हो कि साल्वे कराधान [taxation] और वाणिज्यिक कानूनों पर पकड़ रखने के लिए जाने जाते हैं.
इस साक्षात्कार में पूर्व सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह द्वारा देश में आई आर्थिक मंदी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘… मैं पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार मानता हूं. मैं 2जी लाइसेंस के गलत वितरण के लिए लोगों को जिम्मेदार ठहराने की बात समझ सकता हूं… लेकिन जहां विदेशी निवेश कर रहे हों वहां पूरे के पूरे लाइसेंस को रद्द कर देना… देखिए, जब विदेशी निवेश कर रहा था तब आपका नियम था कि एक भारतीय पार्टनर होना चाहिए. विदेशी को नहीं पता था कि भारतीय पार्टनर को लाइसेंस कैसे मिला. विदेशी ने करोड़ों डॉलर का निवेश कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने एक झटके में उन सबको बाहर कर दिया. यहीं से अर्थव्यवस्था का बिगड़ना शुरू हुआ.’
साल्वे का इशारा 2जी आवंटन मामले में दिए गए फैसले की ओर था, जहां 2012 में शीर्ष अदालत ने आठ कंपनियों को दिए गए 122 लाइसेंस रद्द किए थे, वहीं 2014 में कोयला ब्लॉक मामले में 218 कोयला ब्लॉक में से चार को छोड़कर बाकियों का आवंटन रद्द कर दिया था.
साल्वे के अनुसार वोडाफोन मामले के निर्णय के बाद भारत में विदेशी निवेश और जोखिम भरा हो गया है. उन्होंने कहा, ‘तो यह आयकर विभाग है, जो संसद के एजेंडा तय करता है. तो अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात करें तो जब मेरे विदेशी क्लाइंट मुझसे आकर पूछते हैं कि क्या मैं केस जीत सकता हूं, तो मैं कहता हूं- हां मैं जीत सकता हूं. वे पूछते हैं कि अगर कोई कानून बदल गया तो क्या वह फैसला मान्य होगा. मैं बताता हूं कि नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं होगा. उनका सवाल होता है तब हम कैसे निवेश कर सकते हैं? मैं कहता हूं कि जोखिम तो है. फिर सवाल आता है कि उसके बाद क्या होगा? वे बताते हैं कि वे ऐसा इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि उन्हें 25 फीसदी रिटर्न चाहिए तभी निवेश करेंगे, वरना वे निवेश नहीं करेंगे…’
इसके साथ ही साल्वे ने यह भी कहा कि मंदी के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अलावा कुछ हद तक नोटबंदी भी जिम्मेदार है क्योंकि इसका कार्यान्वयन गलत तरह से हुआ. उन्होंने कहा, ‘सबसे अच्छे तरीके भी ख़राब कार्यान्वयन के चलते विफल हो जाते हैं.’