दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक हफ्ते के भीतर एक रिपोर्ट दाख़िल कर बलात्कार पीड़िता, उसकी मां, दो बहनों और भाई को सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए उठाए जाने वाले क़दमों के बारे में बताने को कहा है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को एम्स में भर्ती उन्नाव बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार को वहां किसी सुरक्षित स्थान पर या पड़ोसी राज्य में भेजने के संबंध में उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.
अदालत ने यह आदेश तब दिया जब सीबीआई ने अदालत को पीड़िता और उसके परिवार पर खतरे की आशंका के बारे में बताया था.
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक हफ्ते के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल कर बलात्कार पीड़िता, उसकी मां, दो बहनों और भाई को सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताने को कहा.
पीड़िता ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर 2017 में बलात्कार का आरोप लगाया था, तब वह नाबालिग थी. पीड़िता को 28 जुलाई को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था. बहन और भाई के साथ उसकी मां अभी दिल्ली में उसके साथ हैं.
अदालत का यह निर्देश तब आया जब सीबीआई ने खतरे की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट दाखिल की. राज्य सरकार को अदालत को पीड़िता और उसके परिवार की जिंदगी और आजादी की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी अवगत कराने का निर्देश दिया गया है. अदालत अब 24 सितंबर को मामले पर सुनवाई करेगी.
इसी से जुड़े एक अन्य मामले में अदालत ने उन्नाव पीड़िता के पिता का उपचार करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ जांच शुरू करने से सीबीआई को निर्देश देने से मना करते हुए कहा कि मामला चलाना सीबीआई का विशेषाधिकार है.
इन डॉक्टरों ने पीड़िता के पिता का तब उपचार किया था जब वह न्यायिक हिरासत में थे और घायल हो गए थे.
न्यायाधीश धर्मश शर्मा पीड़िता के वकील की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. हालांकि अदालत ने कहा कि सुनवाई के दौरान समूचे घटनाक्रम में किसी भी डॉक्टर की भूमिका के बारे में तथ्य सामने आए तो उचित आदेश जारी किए जाएंगे.
वरिष्ठ लोक अभियोजक अशोक भारतेंदु ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि उनकी जांच में अदालत के सामने डॉक्टरों को आरोपियों के तौर पर बुलाने के लिए अब तक कुछ भी सामने नहीं आया है.
वकील धर्मेंद्र मिश्रा की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि सेंगर के इशारे पर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जान-बूझकर पीड़िता के पिता का परीक्षण नहीं किया था.
उन्नाव पीड़िता के पिता को तीन अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया गया था और नौ अप्रैल, 2018 को न्यायिक हिरासत में उनकी मौत हो गई थी.
गौरतलब है कि 28 जुलाई को पीड़िता, अपनी चाची, मौसी और अपने वकील महेंद्र के साथ रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा महेश सिंह से मुलाकात करने जा रही थी. रास्ते में रायबरेली के पास उनकी कार और एक ट्रक के बीच संदिग्ध परिस्थितियों में टक्कर हो गई थी. इस हादसे में मौसी और चाची (महेश सिंह की पत्नी) की मौत हो गई थी. वहीं, पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते अगस्त महीने में पीड़िता को इलाज के लिए लखनऊ से नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्नाव बलात्कार मामले से जुड़े से जुड़े सभी पांच मामले दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर किए गए हैं और इन सभी केस की सुनवाई जज धर्मेश शर्मा की की अदालत में हो रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)