पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने कहा कि हम सामूहिक विनाश की कगार पर हैं जबकि आप पैसों और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं. आपकी ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई?
संयुक्त राष्ट्रः सोमवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को संबोधित करते हुए 16 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गुस्सा जाहिर करते हुए वैश्विक नेताओं की तीखी आलोचना की. उन्होंने वैश्विक नेताओं पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से निपटने में नाकाम होने के लिए अपनी पीढ़ी से विश्वासघात करने का आरोप लगाया.
स्वीडिश किशोरी ग्रेटा ने अपना संबोधन शुरू करते हुए कहा, ‘ये सब गलत है. मुझे यहां नहीं होना चाहिए था. मुझे समंदर के उस पार स्कूल में होना चाहिए था. फिर भी आप सब हम युवाओं के पास उम्मीद लेकर आए हैं. आपकी हिम्मत कैसे हुई?’
“Right here, right now is where we draw the line. The world is waking up. And change is coming, whether you like it or not.”
My full speech in United Nations General Assembly. #howdareyou https://t.co/eKZXDqTAcP— Greta Thunberg (@GretaThunberg) September 23, 2019
उन्होंने विभिन्न देशों के प्रमुखों से कहा, ‘आपने मेरे सपने, मेरा बचपन अपने खोखले शब्दों से छीन लिए. लोगों पर बुरा असर पड़ रहा है, लोग मर रहे हैं. पूरा ईको सिस्टम बर्बाद हो रहा है.’
जलवायु कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम सामूहिक विनाश की कगार पर हैं जबकि आप पैसों और आर्थिक विकास की काल्पनिक कथाओं के बारे में बातें कर रहे हैं. आपकी हिम्मत कैसे हुई?
ग्रेटा ने कहा, ‘करीब 30 साल तक विज्ञान बिल्कुल साफ था. आपकी हिम्मत कैसे हुई ये नजरअंदाज करने की और यहां आकर कह रहे हैं कि आपने बहुत कुछ किया है. जिन राजनीतिक समाधानों की जरूरत है वो अब भी नजर नहीं आ रहे.’
उन्होंने कहा, ‘आप कहते हैं कि आप हमारी सुनते हैं और आप इसकी ज़रूरत समझते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मैं कितनी दुखी और गुस्से में हूं, मैं ये नहीं मानना चाहती. अगर आप हालात समझते हैं लेकिन फिर भी सही कदम उठाने में नाकाम हैं तो आप बुरे हैं और मैं आप पर भरोसा नहीं कर सकती.’
"Right here, right now is where we draw the line. The world is waking up – change is coming if you like it or not."
Spine-tingling speech from @gretathunberg at today's #UNGA #ClimateAction Summit.pic.twitter.com/ZmTrWdTzLJ— UNICEF (@UNICEF) September 23, 2019
ग्रेटा ने कहा, ‘आप हमें हरा रहे हैं लेकिन युवाओं को अब आपका धोखा समझ आ रहा है. भविष्य की पीढ़ियों की नजर भी आप पर है. अगर आप हमारी नाकामी चाहते हैं तो मैं कहती हूं, हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे. हम आपको ऐसे नहीं जाने देंगे. यहीं इसी वक्त हम एक लकीर खींच रहे हैं, दुनिया जाग रही है, बदलाव आ रहा है, चाहे आपको पसंद आए या नहीं.’
मालूम हो कि ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर काम करने के लिए पढ़ाई से एक साल का अवकाश ले रखा है.
थनबर्ग और भारत की रिद्धिमा पांडे सहित 16 किशोरों ने जलवायु संकट पर सरकारों पर किया मुकदमा
भारत के उत्तराखंड की 11 साल की रिद्धिमा पांडे और ग्रेटा थनबर्ग उन 16 किशोर याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, जिन्होंने 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने को लेकर पांच देशों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग को लेकर वैश्विक प्रदर्शनों के बाद युवा कार्यकर्ताओं ने यह शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की पर बाल अधिकार सम्मेलन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया गया है.
इन किशोरों की की आयु आठ वर्ष से 15 वर्ष के बीच है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रिद्धिमा ने कहा है, ‘मैं बेहतर भविष्य चाहती हूं. मैं अपना भविष्य बचाना चाहती हूं. मैं हमारा भविष्य बचाना चाहती हूं. मैं सभी बच्चों और भावी पीढ़ियों के सभी लोगों का भविष्य बचाना चाहती हूं.’
“I want a better future.
I want to save my future.
I want to save our future.
I want to save the future of all the children and all people of future generations.”
– Ridhima Pandey, one of 16 children who filed a complaint on climate crisis to the UN child rights committee. #UNGA pic.twitter.com/E8O2ZlmfAo— UNICEF India (@UNICEFIndia) September 24, 2019
मालूम हो कि उत्तराखंड बाढ़ के बाद भी रिद्धिमा ने पर्यावरण के प्रति सरकार के उदासीन रवैये, सरकार की निष्क्रियता का विरोध करते हुए अदालत का रुख किया था.
संयुक्त राष्ट्र से की गई इस शिकायत में इन पांच देशों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पर्याप्त एवं समय पर कदम नहीं उठाकर बाल अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
अमेरिका को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने बाल स्वास्थ्य एवं अधिकार रक्षा से जुड़ी संधि को मंजूरी दी थी. यह शिकायत 2014 को अस्तित्व में आए ‘वैकल्पिक प्रोटोकॉल’ के तहत की गई. यदि बच्चों को लगता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है तो वे ‘बाल अधिकार समिति’ के समक्ष इसके तहत शिकायत कर सकते हैं.
समिति इसके बाद आरोपों की जांच करती है और फिर संबंधित देशों से सिफारिश करती है कि वे किस प्रकार शिकायत का निपटारा कर सकते हैं.
कानूनी फर्म ‘हौसफेल्ड एलएलपी एवं अर्थलाइसिस’ ने 16 युवाओं को समर्थन दिया.
वकील माइकल हौसफेल्ड ने कहा कि हालांकि समिति की सिफारिशें कानूनी रूप से बाध्य नहीं है, लेकिन 44 देशों ने प्रोटोकॉल को मंजूरी देकर उनका सम्मान करने का संकल्प लिया है. उम्मीद है कि आगामी 12 महीनों में सिफारिश सौंप दी जाएंगी.
जिन पांच देशों के खिलाफ शिकायत की गई है वे प्रोटोकॉल को मंजूरी देने वाले 44 देशों और सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों में शामिल हैं.
विश्व में सर्वाधिक प्रदूषण फैलाने वाले देश अमेरिका, चीन और भारत है, लेकिन उन्होंने प्रोटोकॉल को मंजूरी नहीं दी हे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)