महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में शरद पवार और अजीत पवार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

ईडी ने महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार सहित 70 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग समेत अन्य मामलों में मामला दर्ज किया है. शरद पवार ने कहा कि राज्य में उनकी पार्टी के मज़बूत समर्थन की वजह से यह कार्रवाई की गई है.

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Mumbai: NCP President Sharad Pawar gestures as he speaks during an exclusive interview with PTI, at his residence in Mumbai, Saturday, March 16, 2019. (PTI Photo) (Story No. BMM1) (PTI3_16_2019_000097B)
शरद पवार. (फोटो: पीटीआई)

ईडी ने महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार सहित 70 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग समेत अन्य मामलों में मामला दर्ज किया है. शरद पवार ने कहा कि राज्य में उनकी पार्टी के मज़बूत समर्थन की वजह से यह कार्रवाई की गई है.

Mumbai: NCP President Sharad Pawar gestures as he speaks during an exclusive interview with PTI, at his residence in Mumbai, Saturday, March 16, 2019. (PTI Photo) (Story No. BMM1) (PTI3_16_2019_000097B)
राष्ट्रवादी कांगेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार, उनके भतीजे अजीत पवार और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद और अजीत पवार सहित जिन 70 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें शिवसेना के आनंदराव अदसुल, पीडबल्यूपी के जयंत पाटिल, कांग्रेस के दिलीपराव देशमुख और मदन पाटिल, एनसीपी के ईश्वरलाल जैन और शिवाजीराव नालावाड़े हैं.

ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इन मामलों में सोमवार को इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (ईएसआईआर) दर्ज की गई.

यह मामला महराष्ट्र सहकारी बैंक में कथित अनियमितताओं के संबंध में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर आधारित है. एनसीपी ने ईडी की इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया.

इस पूरे मामले पर शरद पवार ने कहा, ‘केस दर्ज हो गया है. मुझे कोई दिक्कत नहीं है कि अगर मुझे जेल भी जाना पड़े. मैं खुश होऊंगा क्योंकि मैंने कभी इसका (जेल का) अनुभव नहीं किया है. अगर कोई मुझे जेल में भेजने की योजना बना रहा है तो मैं इसका स्वागत करता हूं.’

शरद पवार ने कहा कि राज्य में उनकी पार्टी के मजबूत समर्थन की वजह से यह कार्रवाई की गई है.

उन्होने कहा, ‘मैं कभी भी किसी सहकारी बैंक का निदेशक नहीं रहा. फिर भी उन्होंने मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया. मैं इसका स्वागत करता हूं. मुझे उम्मीद थी कि महाराष्ट्र में मेरे हालिया दौरे के दौरान मुझे मिले व्यापक समर्थन को लेकर इस तरह की कार्रवाई की जा सकती है.’

एनसीपी विधायक जितेंद्र अवध ने कहा, ‘ईडी जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर शरद पवार को खत्म करने के प्रयास काम नहीं  करेंगे. पवार का बीते 50 सालों में किसी भी बैंक के साथ कोई सहयोग नहीं रहा. भाजपा किस तरह की राजनीति कर रही है? वे पवार के चुनाव अभियान से डरे हुए हैं, जिस वजह से इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.’

पुणे में अजीत पवार के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा, ‘इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईओडबल्यू को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था. हमने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट से बिना प्रभावित हुए निष्पक्ष रूप से जांच की जानी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘अब, हमें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए पता चला कि ईडी ने भी मामला दर्ज किया है. हम किसी भी मामले में कानून का पालन करने वाले नागरिक होने के नाते जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने को तैयार हैं. महाराष्ट्र सहकारी बैंक मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी जांच एजेंसियों के लिए बाध्यकारी है. महाराष्ट्र सहकारी बैंक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष कहा है कि कोई घोटाला नहीं हुआ और बैंक को किसी तरह का वित्तीय नुकसान नहीं हुआ. हमें जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर भरोसा है.’

मालूम हो कि इस मामले में मुंबई पुलिस ने पिछले महीने एक एफआईआर दर्ज की थी. साल 2007 से 2011 के बीच हुए इस घोटाले में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के बैंक अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है.

यह घोटाला करीब 25 हजार करोड़ का बताया जा रहा है. यह मामला ऐसा समय दर्ज किया गया है जब महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि आरोपियों को एजेंसी द्वारा जल्द ही उनके बयान दर्ज करने के लिए समन किया जाएगा.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू से मामला दर्ज करने को कहा था. इससे पहले जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस एसके शिंदे ने कहा था कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ विश्वसनीय साक्ष्य हैं.

पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक, एक जनवरी 2007 से 31 मार्च 2017 के बीच हुए महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले के कारण सरकारी खजाने को कथित तौर पर 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)