विशेष सीबीआई अदालत ने कहा कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं को पेशी से छूट नहीं दी जा सकती. उनको पेश होना ही होगा.
राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को 30 मई को पेश होने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि उनको पेशी से छूट नहीं दी जा सकती और उनको पेश होना होगा.
गौरतलब है कि गुरुवार को जब विशेष सीबीआई जज के समक्ष बाबरी केस की सुनवाई शुरू हुई तो उस वक्त केवल एक ही आरोपी सतीश प्रधान मौजूद थे.
Babri case: Special CBI court asks BJP leader LK Advani, Union Min Uma Bharti and Murli Manohar Joshi to appear before it on May 30
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 25, 2017
इस पर अदालत ने आदेश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई में इनके खिलाफ आरोप तय होंगे लिहाजा सभी आरोपियों को अगले हफ्ते सुनवाई में मौजूद रहना होगा. इसके साथ ही न्यायाधीश ने यह भी कहा कि किसी को पेशी से छूट नहीं दी जा सकती.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने निर्देश दिया था कि 1992 के बाबरी विध्वंस केस में आडवाणी, जोशी, उमा भारती और अन्य पर षडयंत्र के आरोपों को लेकर मुकदमा चलेगा. अदालत ने रायबरेली से मामले को लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया, जहां इसी से जुड़ा एक अन्य मामला चल रहा है.
इसके बाद विशेष अदालत ने इस मामले की सुनवाई 20 मई से शुरू की और पांच विहिप नेताओं को जमानत दे दी.
अदालत ने पूर्व सांसद राम विलास वेदान्ती (59) के अलावा विहिप नेताओं चंपत राय (71), बैकुंठ लाल शर्मा (88), महंत नृत्य गोपाल दास (79) और धरमदास महाराज (68) को भी जमानत दे दी है.
छठे आरोपी प्रधान उस दिन अदालत में नहीं पेश हो सके थे. बुधवार को छठे आरोपी सतीश प्रधान को जमानत दे दी गई. गौरतलब है कि इस मामले में विहिप के आरोपियों में से गिरिराज किशोर और अशोक सिंहल का निधन हो चुका है.