प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा, बैंक खातों, आतंकवाद, जन कल्याण, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर बात की. यह संयुक्त राष्ट्र में मोदी का दूसरा संबोधन था.
संयुक्त राष्ट्रः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन में कहा कि स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा, बैंक खातों, डिजिटल पहचान की उपलब्धियां पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा रही है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो विकास के प्रयास कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी का अधिकतर भाषण भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर केंद्रित रहा, जिसमें जल संरक्षण से लेकर 15 करोड़ परिवारों को पाइप के जरिए पेयजल आपूर्ति से जोड़ना, गरीबों के लिए दो करोड़ घरों के निर्माण, सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शामिल रहा.
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा था. सत्य और अहिंसा का उनका संदेश विश्व की प्रगति के लिए आज भी प्रासंगिक है. इस वर्ष दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव हुआ. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों ने वोट देकर मुझे और मेरी सरकार को पहले से ज्यादा मजबूत जनादेश दिया. इस जनादेश की वजह से ही आज मैं यहां आज सब के बीच हूं लेकिन इस जनादेश से निकला संदेश ज्यादा व्यापक और प्रेरक है.’
मोदी ने कहा कि विश्व से टीबी को 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन भारत इसे पांच साल पहले ही खत्म करने का प्रयास कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हम दूरदराज के गांवों में सवा लाख किमी से ज्यादा नई सड़कें बनाने जा रहे हैं. 2022 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा तब हम दो करोड़ घरों का निर्माण करेंगे.’
प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर आतंकवाद को न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना चाहिए.
मोदी ने कहा, ‘हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है, आक्रोश भी है. हम मानते हैं कि यह किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.’
मोदी ने यूएनजीए को हिंदी में संबोधित करते हुए कहा, ‘हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिया है, शांति का संदेश दिया है.’
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे अधिक बलिदान जिस देश ने दिया है, वह भारत है.
मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर एकजुटता की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हमारा विश्वास है यह सबसे बड़ी चुनौती है, किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया और मानवता के लिए. आतंक के नाम पर बंटी दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ. मैं समझता हूं कि आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व का एकजुट होना अनिवार्य है.’
उन्होंने वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ सामूहिक भागीदारी का आह्वान करते हुए तमिल कवि कणियन पूकुन्नार और स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि सौहार्द और शांति दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ओर से बाकी दुनिया को संदेश है.
मोदी ने कहा, ‘आज से 3,000 साल पहले तमिल कवि कणियन पूकुन्रनार ने कहा था, ‘यादम उरे, यावरुम केड़ीर’ यानी हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं. यह तीन हजार साल पहले की बात है. देश की सीमाओं से परे अपनत्व की यही भावना भारत की विशेषता है.’
उन्होंने स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए कहा, ‘सवा सौ साल स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद से दुनिया को एक संदेश दिया था. यह संदेश था, सद्भाव और शांति. भारत की ओर से आज भी दुनिया के लिए यही संदेश है.’
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बहुपक्षवाद को नई दिशा देने का आग्रह किया.मोदी ने कहा, ‘दुनिया एक नए युग से गुजर रही है. हमारे पास अपनी सीमाओं में सिमटने का विकल्प नहीं है. एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है. हमें संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और नई दिशा देनी ही होगी.’
मोदी ने अपने संबोधन में ‘नया भारत’ और ‘सबका साथ’ जैसे नारों का भी जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि आखिर हम ये सब कैसे कर पा रहे हैं? आखिर नए भारत में तेजी से बदलाव कैसे आ रहा है? भारत हजारों वर्ष पुरानी एक महान संस्कृति है, जिसकी अपनी जीवन परंपराएं हैं, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए हैं.’
उन्होंने कहा है, ‘हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति जीव में शिव देखती है इसलिए हमारा प्राण तत्व है जनभागीदारी से जनकल्याण. यह जनकल्याण भी सिर्फ भारत के लिए जगकल्याण के लिए हो. जनकल्याण से जगकल्याण तभी तो हमारी प्रेरणा है सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास. यह सिर्फ भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं है. हमारा परिश्रम न तो दयाभाव है और न ही दिखावा. यह सिर्फ और सिर्फ कर्तव्यभाव से प्रेरित है.’
मोदी ने कहा कि हम 130 करोड़ भारतीयों को केंद्र में रखकर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ये प्रयास जिन सपनों के लिए हो रहे हैं, वो सारे विश्व के हैं, हर देश के हैं, हर समाज के हैं.
उन्होंने कहा, ‘प्रयास हमारे हैं लेकिन नतीजें पूरी दुनिया के लिए हैं और यह दृढ़ विश्वास हर रोज मजबूत होता है, जब मैं उन देशों को अपने तरीके से विकास करने के प्रयास करते सोचता हूं. जब मैं उनके सुख और दुख के बारे में सुनता हूं तो मेरे देश को और तेज गति से विकसित करने का मेरा संकल्प और मजबूत हो जाता है क्योंकि भारत के अनुभव इन देशों के लिए भी लाभकारी होंगे.’
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल वॉर्मिंग पर कहा कि यदि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की दृष्टि से देखें तो वैश्विक तापमान को बढ़ाने में भारत का योगदान बहुत ही कम रहा है. उन्होंने कहा कि हम 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में काम कर रहे है.
मोदी ने कहा कि भारत ने सीडीआरआई बनाने की पहल की है. इससे ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद मिलेगी जिन पर प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव कम से कम होगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)