साल 2015 में मणिपुर के चूराचांदपुर में सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर हुई पुलिस फायरिंग में इनकी मौत हो गई थी.
सभी फोटो: विवेक सिंह
साल 2015 में एक सितंबर को चूराचांदपुर ज़िला मुख्यालय पर हो रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस की ओर से कथित तौर पर हुई फायरिंग में ये नौ लोग मारे गए थे. इन शवों को तब से ज़िला अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया था.
ये लोग 31 अगस्त, 2015 को मणिपुर विधानसभा द्वारा पास किए गए तीन विधेयकों- मणिपुर जन संरक्षण विधेयक-2015, मणिपुर भू-राजस्व एवं भूमि सुधार (सातवां संशोधन) विधेयक-2015 और मणिपुर दुकान एवं प्रतिष्ठान (दूसरा संशोधन) विधेयक-2015, के विरोध में सड़क पर उतर गए थे. इन लोगों ने इन विधेयकों को आदिवासी विरोधी बताया था.
पुलिस फायरिंग के दौरान नौ लोगों की मौत हो गई जबकि 35 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस घटना के विरोध में मृतकों के परिवारवालों ने उनका शव लेने और दफनाने से मना कर दिया था. इन नौ लोगों में एक नाबालिग भी शामिल था.
दिसंबर 2016 में 11 वर्षीय नाबालिग को उनके परिजनों ने जेएसीएएटीबी के ख़िलाफ़ जाते हुए दफना दिया था, लेकिन आठ शव अब तक मुर्दाघर में रखे हुए थे.
गौरतलब है कि गत 10 मई को मणिपुर की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार और जॉइंट एक्शन कमेटी अगेंस्ट एंटी ट्राइबल बिल्स (जेएसीएएटीबी) के बीच हुए एक समझौते में इन आठ मृतकों की लाशों को दफनाने पर सहमति बन गई थी.
बीते दिनों इन शवों को पहले लामका मैदान में रखा गया ताकि लोग इन्हें श्रद्धांजलि दे सकें. इसके बाद चूराचांदपुर के खुगा बांध के पास स्थित कब्रगाह में इन शवों को दफना दिया गया.
(विवेक सिंह फोटोग्राफर और पत्रकार हैं.)