चंडीगढ़ में 31 अगस्त 1995 को सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मौत हो गई थी. बलवंत सिंह राजोआना ने इस हमले की साज़िश रची थी. बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद ने रवनीत सिंह बिट्टू ने केंद्र के फैसले पर उठाया सवाल.
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले के दोषी आतंकी संगठन बब्बर खालसा के बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का फैसला किया है. अधिकारियों ने बीते रविवार को यह जानकारी दी.
बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को हत्या कर दी गई थी. उन्हें पंजाब में आतंकवाद को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को बदलने पर फैसला कर लिया गया है. औपचारिक अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया चल रही है.’
31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मौत हो गई थी. आतंकी हमले में सोलह अन्य लोगों की भी जान चली गई थी.
इस घटना में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी, जबकि बलवंत सिंह राजोआना ने उसके साथ साजिश रची थी. राजोआना दिलावर के असफल रहने पर बैकअप की भूमिका में था. राजोआना ने अपने बचाव में कोई वकील नहीं किया था और न ही फांसी कि सजा माफ करने की अपील की थी.
राजोआना की फांसी 31 मार्च, 2012 को मुकर्रर की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी. सीबीआइ ने इसका विरोध किया था. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी कहा था कि राज्य सरकार राजोआना को फांसी देने के हक में नहीं है.
इससे पहले शनिवार को गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब में आतंकवाद के दौरान अपराध करने के लिए देश की विभिन्न जेलों में बंद आठ सिख कैदियों को सरकार श्री गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती पर मानवीय आधार पर रिहा करेगी.
पार्टी के एक सांसद के रुख से अलग जाकर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर मौत की सजा के खिलाफ हैं.
लुधियाना से कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पौत्र रवनीत सिंह बिट्टू ने केंद्र सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी भी कीमत पर इस कुख्यात आतंकवादी को बख्शा नहीं जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार से उन 17 कैदियों की सूची मांगी थी जिन्हें आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है.
केंद्र के निर्णय में राज्य की कोई भूमिका नहीं होने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राजोआना का नाम भी उन 17 कैदियों की सूची में शामिल था जिन्हें केंद्र को सौंपा गया, क्योंकि वह टाडा के तहत कैदी था, जो सूची के अन्य कैदियों की तरह 14 साल से अधिक जेल की सजा काट चुका है.’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अब तक उन नौ कैदियों की सूची नहीं मिली है जिन्हें गृह मंत्रालय से विशेष छूट दी गई है.
इस बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने राजोआणा पर हुए फैसले का स्वागत किया है. एसजीपीसी प्रमुख गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने कहा कि यह मामला सिख समुदाय की भावनाओं से जुड़ा था. केंद्र के कदम का लुधियाना सांसद की ओर से किए गए विरोध पर लौंगोवाल ने कहा कि यह उनकी अपनी सोच है.
दूसरी ओर राजोआना की बहन कमलदीप कौर ने कहा कि उसका भाई पहले ही 24 साल जेल में बिता चुका है और बिट्टू के विरोध पर सवाल उठाया.
कमलदीप ने कहा, ‘सिख विरोधी दंगों के दौरान मेरे भाई ने हमेशा कांग्रेस नेताओं के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठायी थी. हम केंद्र सरकार का हमारे प्रति सहानुभूति रखने के लिए शुक्रिया अदा करते हैं.’
बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद ने फैसले पर उठाए सवाल
बेअंत सिंह के पौत्र सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने लुधियाना में सोमवार को कहा, ‘जब उच्चतम न्यायालय ने (राजोआना को) मौत की सजा सुनाई है तो उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदलने वाले वो कौन होते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘वह एक कुख्यात आतंकवादी है और उसे किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाना चाहिए.’
भगवा पार्टी पर बरसते हुए कांग्रेस सांसद बिट्टू ने कहा कि प्रधानमंत्री वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष की बात कर रहे हैं, और इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी सिखों का वोट लेने के लिए ओछी राजनीति कर रही है .
उन्होंने आशंका जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आग से खेल रहे हैं और पंजाब की शांति को खतरे में डाल रहे हैं. बिट्टू ने कहा कि वो ऐसा नहीं होने देंगे.
बिट्टू ने कहा, ‘मेरे दादा जी की हत्या से हमारे परिवार को भारी क्षति हुई थी, लेकिन हम लोग एक अन्य संघर्ष के लिए तैयार हैं. हम लोग भाजपा को पंजाब को आतंकवाद के काले दौर में झोंकने नहीं देंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)