कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई द्वारा 21 अगस्त को नई दिल्ली स्थित उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था. वह तीन अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को यह कहकर आईएनएक्स मीडिया मामले में जमानत देने से सोमवार को मना कर दिया कि गवाहों को प्रभावित करने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता.
चिदंबरम तीन अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.
जस्टिस सुरेश कैत ने कांग्रेस नेता को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वह गृह मंत्री और वित्त मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे, वर्तमान में संसद के सदस्य हैं और लंबे समय से वकील हैं.
74 वर्षीय चिदंबरम सीबीआई द्वारा 21 अगस्त को गिरफ्तार किए जाने के बाद से हिरासत में हैं.
चिदंबरम की जमानत याचिका पर आदेश सुनाते हुए अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआई की जांच अग्रिम चरण में है.
अदालत ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर तीन आधार पर फैसला किया. इसमें व्यक्ति के देश से बाहर भाग जाने, सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने के विषय पर विचार किया गया.
सीबीआई द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री के विदेश भाग जाने का मुद्दा उठाए जाने पर अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि चिदंबरम ने भारत से कभी भागने की कोशिश की और उनके खिलाफ प्राधिकारी पहले ही ‘लुकआउट सर्कुलर’ जारी कर चुके हैं.
सीबीआई ने बीते 27 सितंबर को चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी थी कि उनके देश छोड़ने की आशंका है क्योंकि वह गंभीर अपराध के आरोपी हैं और जानते हैं कि उन्हें दोषी ठहराए जाने की संभावना है.
जांच एजेंसी की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अमित महाजन ने दलील दी की कि चिदंबरम के पास इतने संसाधन हैं कि वह अनिश्चितकाल तक दूसरे देश में रह सकते हैं और मामले की सुनवाई खत्म होने तक उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए.
सीबीआई की यह दलील कि चिदंबरम को अगर जमानत पर रिहा किया गया तो वह सबूत के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं, इस पर अदालत ने कहा कि इस बारे में कोई विवाद नहीं है कि मामले से जुड़े दस्तावेज पहले ही जांच एजेंसी के पास हैं और सिवाय सांसद होने के उनके पास कोई शक्ति नहीं है.
मुद्दे पर चिदंबरम के वकील की दलील से सहमति प्रकट करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए सबूत के साथ छेड़छाड़ की आशंका नहीं है.
अदालत ने सीबीआई की इस दलील से सहमति जताई कि चिदंबरम द्वारा गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता.
अदालत ने पाया कि वह एक मजबूत गृह मंत्री और वित्त मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे, वर्तमान में संसद के सदस्य हैं और लंबे समय से वकील रहे हैं.
सीबीआई ने अदालत में कहा कि चिदंबरम को जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि जांच एजेंसी ने हिरासत में पूछताछ के दौरान उनको उनके खिलाफ पाए गए कई सारे सबूत दिखाए हैं, ऐसे में अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
अदालत ने चिदंबरम को जमानत देने से इनकार करते हुए सीबीआई की इसी दलील पर सहमति जताई.
चिदंबरम ने वकील अर्शदीप सिंह के जरिये दाखिल अपनी याचिका में दावा किया कि वित्त मंत्री के पास सैकड़ों शिष्टमंडल आते थे और आईएनएक्स मीडिया के प्रतिनिधिमंडल के बारे में उन्हें कुछ याद नहीं है.
सीबीआई द्वारा 21 अगस्त को गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही चिदंबरम हिरासत में हैं. उन्होंने निचली अदालत का रुख न करके सीधे उच्च न्यायालय में नियमित जमानत के लिये याचिका दायर की थी.
चिदंबरम को नई दिल्ली स्थित उनके जोर बाग स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था और वह तीन अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं.
सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी और आरोप लगाया था कि चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हासिल करने के लिये एफआईपीबी की मंजूरी देने में अनियमितता की गई.
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस संदर्भ में 2017 में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)