प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के ह्यूस्टन में 22 सितंबर को भारतीय अमेरिकियों के जनसमूह को संबोधित करते हुए ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का नारा दिया था. तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस पर सफाई दी.
वाशिंगटन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका की घरेलू राजनीतिक की तरफ भारत के निर्दलीय रुख को दोहराते हुए सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन रैली में ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का जो नारा दिया था, वह महज उसका संदर्भ था जो डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भारतीय-अमेरिकी समुदाय का प्यार हासिल करने के लिए कहा था.
वाशिंगटन की तीन दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने इस बात को सिरे से नकार दिया कि प्रधानमंत्री ने 2020 के चुनाव अभियान के लिए ट्रंप की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए ऐसा कहा था.
ह्यूस्टन रैली में मोदी द्वारा इस्तेमाल किए गए नारे के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भारतीय पत्रकारों के सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘नहीं, उन्होंने ऐसा नहीं कहा था.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री ने जो कहा, उस पर कृपया सावधानीपूर्वक ध्यान दें. मेरी याददाश्त के मुताबिक प्रधानमंत्री ने जो कहा वह ट्रंप ने इस्तेमाल किया था तो प्रधानमंत्री पहले की बात कर रहे थे.’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमें बातों का गलत अर्थ निकालना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि ऐसा करके आप किसी के लिए अच्छा कर रहे हैं.’
गौरतलब है कि 22 सितंबर को ह्यूस्टन में 50,000 से अधिक भारतीय अमेरिकियों के जनसमूह को संबोधित करते मोदी ने कहा था, ‘उम्मीदवार ट्रंप के ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ शब्दों की गूंज ऊंची और स्पष्ट है.’
जयशंकर ने पत्रकारों से सटीक रिपोर्ट देने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘मेरा मतलब है कि वह (मोदी) जो बात कर रहे थे उसके बारे में काफी स्पष्ट थे. वह जो कह रहे थे, वह वही है जो उम्मीदवार के तौर पर कहा गया था, जो दिखाता है कि आप उम्मीदवार के तौर पर भी भारत और उसके लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा अमेरिका की घरेलू राजनीति की ओर निर्दलीय रुख रहा है. हमारा रुख यही है कि इस देश में जो भी होता है वह उनकी राजनीति है, न कि हमारी.’
प्रधानमंत्री के इस नारे की कांग्रेस पार्टी ने तीखी आलोचना की थी और कहा था कि आप भारत के प्रधानमंत्री हैं, न कि अमेरिकी चुनाव में स्टार प्रचारक.
कश्मीर पर स्पष्ट है भारत का रुख, तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की हर गुंजाइश को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा है कि भारत का रुख दशकों से स्पष्ट रहा है और इस मामले पर कोई भी बातचीत द्विपक्षीय ही होगी.
जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक महासभा सत्र में भाग लेने के बाद रविवार रात न्यूयार्क से यहां पहुंचे. संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने विश्व के दर्जनों नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं.
कश्मीर में मध्यस्थता के संबंध में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने बुधवार को भारतीय संवाददाताओं से कहा, ‘भारत का रूख करीब 40 साल से इस बात को लेकर स्पष्ट है कि हम मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे… और जो कुछ भी बातचीत होनी है, वह द्विपक्षीय होगी.’
ट्रंप ने कश्मीर मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की हाल में पेशकश की थी.
जयशंकर ने कहा, ‘जहां तक मेरा सवाल है, मेरे दिमाग में बात एकदम स्पष्ट है. मेरा तर्क बहुत सरल है. (यह) किसका मामला है? मेरा. किसे फैसला करना है? मुझे. यदि यह मेरा मामला है और मुझे फैसला करना है, तो मैं तय करूंगा कि मुझे किसी की मध्यस्थता चाहिए या नहीं. आप अपनी पसंद से कोई भी प्रस्ताव रख सकते हैं लेकिन यदि मैं फैसला करता हूं कि यह मेरे लिए प्रासंगिक नहीं है तो ऐसा नहीं होगा.’
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर उनकी आधी बैठकों में जम्मू-कश्मीर में हालिया घटनाक्रम का मामला उठा. उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 के संदर्भ में, मेरे लिए संख्या बताना मुश्किल होगा, लेकिन मैं कहूंगा कि मेरी करीब आधी बैठकों में इस मामले पर बात हुई और शायद मेरी आधी बैठकों में इस पर बात नहीं हुई. ऐसा नहीं था कि मुझसे बात करने वाले हर व्यक्ति ने इसी ज्वलंत प्रश्न पर बात की.’
उन्होंने कहा कि सच कहूं, तो इनमें से अधिकतर बैठकों में द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया. यह मामला जिन लोगों ने उठाया, उनके लिए यह प्राथमिक रुचि का विषय नहीं था.
जयशंकर ने भारत को पाकिस्तान के साथ जोड़ने की कोशिशों पर उठाए सवाल
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान को ‘साथ जोड़ने’ की कोशिशों पर सवाल उठाते हुए सोमवार को कहा कि ऐसा वे लोग कर रहे हैं जिनके दिमाग पर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने का घटनाक्रम हावी है.
जयशंकर ने भारत और पाकिस्तान के बारे में एक साथ बात किए जाने पर स्पष्ट रूप से आपत्ति जताते हुए भारतीय संवाददाताओं से कहा, ‘आप एक ऐसे देश को कैसे साथ जोड़कर देख सकते हो, जो आपकी अर्थव्यवस्था का आठवां हिस्सा है… जो ‘छवि के हिसाब से’ आपसे एकदम विपरीत है?’
जयशंकर ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद से एक बार फिर भारत और पाकिस्तान को ‘साथ जोड़े’ जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए यह बयान दिया. उन्होंने कहा कि इस तर्क से तो भारत को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे किसी भी बातचीत में पाकिस्तान आए.
जयशंकर ने कहा, ‘इसलिए, अफगानिस्तान के बारे में बात नहीं कीजिए, बल्कि दक्षिण एशिया की भी बात नहीं कीजिए. मुझे लगता है कि लोगों के दिमाग पर यह हावी हो गया है.’
उन्होंने कहा, ‘यह तर्क अकसर वे लोग देते हैं जिनका मानना है कि हमें अनुच्छेद 370 के बारे में कुछ नहीं करना चाहिए था.’ जयशंकर ने कहा कि इसे लेकर उनमें ‘सहिष्णुता बहुत कम’ है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)