इस रिपोर्ट को नीति आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्व बैंक ने संयुक्त रूप से जारी किया है.
नई दिल्लीः स्कूलों में अच्छी शिक्षा के मामले में केरल ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. नीति आयोग द्वारा सोमवार को जारी स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) से इसका पता चला है.
इस रिपोर्ट का नाम ‘द सक्सेस आफ आवर स्कूल्स-स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स’ है. इसे नीति आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्व बैंक ने संयुक्त रूप से जारी किया है.
देशभर के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिले आंकड़ों का अध्ययन कर यह रिपोर्ट जारी की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016-2017 के दौरान स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक में देश के 20 बड़े राज्यों में केरल शीर्ष स्थान पर हैं जबकि राजस्थान दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर है.
रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे निचले पायदान पर है. इस सूचकांक में पश्चिम बंगाल ने भाग नहीं लिया.
इस तरह आठ छोटे राज्यों में शिक्षा के सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन के आधार पर मणिपुर पहले त्रिपुरा दूसरे और गोवा तीसरे स्थान पर है. इसके बाद मिजोरम, नगालौंड, सिक्किम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का नंबर है.
सात केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ इस सूची में पहले स्थान पर है. इसके बाद दादरा नगर हवेली, दिल्ली, पुडुचेरी, दमन एवं दीउ, अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े राज्यों के मामले में ओवरऑल परफॉर्मेंस स्कोर केरल के लिए 76.6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के लिए 36.4 प्रतिशत तक है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, द सक्सेस आफ आवर स्कूल्स-स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (एसईक्यूआई) में 2016-17 का संदर्भ वर्ष और 2015-16 का आधार वर्ष के रूप में इस्तेमाल किया है.
2015-2016 के आधार पर अगर सुधार की बात करें तो बड़े राज्यों में हरियाणा और असम ने बाजी मारी है. छोटे राज्यों की बात करें तो मेघालाय, नगालैंड और गोवा ने आधार वर्ष की तुलना में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है.
आयोग ने लर्निंग आउटकम सहित 30 मानकों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है. इसे तैयार करने के लिए 2016-17 के आंकड़ों का उपयोग किया गया है.
एसईक्यूआई को स्कूल शिक्षा क्षेत्र में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए विकसित किया गया है. इससे राज्यों को इस क्षेत्र में अपनी कमी और मजबूती का पता चल सकेगा. इसके बाद वे इसके आधार पर अपनी योजनाएं बना सकेंगे.
इस मौके पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकआरी अधिकारी अमिताभ कांत, आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूली शिक्षा सचिव रीना रे और विश्व बैंक के अधिकारी मौजूद रहे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)