पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल का निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे. पंजाब से आतंकवाद ख़त्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
गिल ने नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में सोमवार को दिन में दो बजकर 55 मिनट पर आख़िरी सांसें लीं. पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को 18 मई को किडनी से संबंधित रोगों के विभाग के प्रमुख डॉ. डीएस राणा की निगरानी में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
डॉ. राणा ने कहा, ‘उनकी किडनी ने लगभग काम करना बंद कर दिया था और वे हृदय की बीमारी से भी पीड़ित थे. गिल पेरिटोनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) से उबर रहे थे, लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई.’ वह लंबे समय से डायलिलिस पर चल रहे थे.
केपीएस गिल ने 80 और 90 के दशक में पंजाब से खालिस्तानी आतंकवाद का ख़ात्मा किया था. खालिस्तानी आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए उन्हें सुपरकॉप भी कहा जाता था.
Doctors say KPS Gill was suffering from End Stage Kidney Failure and significant Ischemic Heart Disease,had been recovering from Peritonitis
— ANI (@ANI) May 26, 2017
1995 में रिटायर होने से पहले वह दो बार पंजाब के पुलिस महानिदेशक के रूप में सेवा दे चुके थे. गिल 1988 से 1990 तक और फिर 1991 से 1995 में अपनी सेवानिवृति तक पंजाब के पुलिस प्रमुख रहे.
गिल ने ही मई 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर का नेतृत्व किया था. इस अभियान के तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे उग्रवादियों को बाहर निकाला गया था. यह अभियान बेहद सफल रहा था, क्योंकि इस अभियान के दौरान 1984 के सैन्य अभियान ऑपरेशन ब्लू स्टार के मुकाबले गुरुद्वारे को बहुत कम नुकसान पहुंचा था.
रिटायर होने के बाद भी समय-समय पर सरकारों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं. साल 2002 के गुजरात दंगों के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी केपीएस गिल की सेवा ले चुके हैं.
गुजरात में 2002 दंगों के बाद केपीएस गिल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था।
गुजरात दंगों के करीब दो महीने बाद नियुक्त हुए गिल ने पंजाब से विशेष रूप से प्रशिक्षित दंगा-निरोधी 1,000 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती का अनुरोध किया था. उन्हें हिंसा पर काबू पाने का श्रेय दिया जाता है.
नक्सलवादियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 2006 में उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया. हालांकि उनका यह कार्यकाल पंजाब जैसा सफल नहीं रहा क्योंकि 2007 में नक्सल हमले में 55 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.
गिल कई वर्षों तक भारतीय हॉकी फेडरेशन के प्रमुख भी रहे. हालांकि उनका यह कार्यकाल विवादों से घिरा रहा. इस दौरान 2008 में फेडरेशन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके बाद इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने फेडरेशन को निलंबित कर दिया था.
इस चर्चित पुलिस अफसर के करिअर पर यौन उत्पीड़न का भी दाग है. उन पर 1988 में एक पार्टी के दौरान महिला के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा और 1996 में उन्हें दोषी क़रार दिया गया.
साल 1989 में लोक सेवा में उनके किए गए कार्यों को लेकर गिल को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)