राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 11 राज्यों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है. निर्देशों के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन के अलावा पूजा सामग्री डालने पर सख़्ती से रोक लगाने को कहा है.
नई दिल्ली: केंद्र ने राज्यों को निर्देश जारी कर त्योहारों के दौरान गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण पर नजर रखने को कहा है. साथ ही गंगा या सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन करने पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा की ओर से 16 सितंबर को जारी निर्देशानुसार गंगा और उसकी सहायक नदियों में किसी प्रतिमा के विसर्जन की अनुमति नहीं होनी चाहिए.
इसमें राज्य सरकार के अधिकारियों से कहा गया है कि वह गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा, दशहरा, दीपावली, छठ पूजा और सरस्वती पूजा जैसे त्योहारों के कारण सात दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपें.
निर्देश में कहा गया है कि यदि कोई आदेश का उल्लंघन करता हुआ मिला तो उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और वह राशि वसूल कर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दे दी जाएगी. सभी जिलाधिकारियों को इसे लागू करने को कहा गया है.
दैनिक जागरण के मुताबिक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने इस संबंध में उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के साथ पिछले 12 सितंबर को एक अहम बैठक की थी.
बैठक के बाद मूर्ति विसर्जन को लेकर केंद्र ने देश के कुल 11 राज्यों को 15 सूत्रीय दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मुख्य रूप से गंगा और उसकी सहायक नदियों में किसी भी त्योहार पर या आम दिनों में मूर्ति विसर्जन करने और पूजा सामग्री डालने पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है.
स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) ने दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा को यह निर्देश पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा पांच के तहत दिए हैं.
निर्देश के नए नियमों के मुताबिक नदियों और उनके तटों पर प्रतिमाओं के विसर्जन को रोकने के लिए नदी तटों और घाटों की घेराबंदी करने के निर्देश दिए गए हैं.
साथ ही नदी तटों पर सजावटी सामान, पूजा सामग्री और फूलों को डालने के लिए अलग-अलग डिब्बे रखने होंगे, ताकि इन सब सामग्रियों को बाद में री-साइकिल किया जा सके. प्रतिमाओं के विसर्जन के 48 घंटे के अंदर ही स्थानीय निकायों को इन सामग्रियों को एकत्र कर उनका निस्तारण करना होगा.
मूर्ति विसर्जन के लिए गंगा नदी के तट या उसकी सहायक नदियों के पास छोटे अस्थायी तालाब बनाने के लिए कहा गया है. इसके अलावा देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सिंथेटिक सामग्री से बनाने पर रोक रहेगी. इन प्रतिमाओं को बायोडिग्रेडिबल पेंट लगाने पर भी प्रतिबंध रहेगा.
इसके साथ ही लोगों को नए दिशा-निर्देशों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)