फ्लाई ऐश में भारी धातु जैसे आर्सेनिक, सिलिका, एल्युमिना, पारा और आयरन होते हैं, जो दमा, फेफड़े में तकलीफ, टीबी और यहां तक कि कैंसर तक का कारण बनते हैं.
सिंगरौली: नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) विंध्याचल परियोजना का सबसे पुराना फ्लाई ऐश (थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख) बांध रविवार शाम अचानक फूट गया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई. यह परियोजना मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर शाहपुर में स्थित है.
ग्रामीणों ने दावा किया है कि इस बांध के फूटने से आसपास के गांव में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. इससे स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं खेतों के लिए नुकसानदायक राख का बहता ढेर खेतों सहित चारों तरफ देखे गए.
उन्होंने यह भी दावा किया कि इससे कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ है, लेकिन बांध के आसपास घास चरने गए लगभग 50 मवेशी जरूर बह गए हैं, जिनका अभी तक कोई पता नहीं चला है.
थर्मल प्लांट से हर साल लाखों टन फ्लाई ऐश निकलता है. फ्लाई ऐश में भारी धातु जैसे आर्सेनिक, सिलिका, एल्युमिना, पारा और आयरन होते हैं, जो दमा, फेफड़े में तकलीफ, टीबी और यहां तक कि कैंसर तक का कारण बन सकते हैं.
फ्लाई ऐश का पानी जल प्रदूषण का बड़ा कारक होता है.
हालांकि, पुलिस ने बताया कि फ्लाई ऐश बांध से किसी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ. स्थानीय अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि की.
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पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि एनटीपीसी विंध्याचल परियोजना का ग्राम शाहपुर में स्थित फ्लाई ऐश बांध रविवार की शाम 4 बजे फूट गया.
उन्होंने कहा कि इस हादसे से आसपास स्थित गांव जयनगर, जुवाड़ी, अमहवा टोला व गहिलगढ़ पूर्व की बस्ती के लोग सकते में आ गए थे, लेकिन इससे कोई प्रभावित नहीं हुआ है.
एनटीपीसी विंध्याचल के सहायक प्रबंधक लालमणि पांडे ने बताया कि इस फ्लाई ऐश बांध के फूटने से मलबा अचानक तेजी से बहने लगा. बीच में नाला होने की वजह से डैम का राख रिहंद जलाशय में समाहित हो गया.
पांडे ने बताया कि बांध फूटने की घटना में किसी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि एनटीपीसी विंध्याचल का ही नुकसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि बांध का तकरीबन 50 प्रतिशत से अधिक फ्लाई ऐश रिहंद में बह गया है बाकी बचे हुए राख को हटाने का काम रविवार की देर रात्रि से युद्ध स्तर पर चल रहा है.
उन्होंने कहा कि घटना की सूचना के बाद एनटीपीसी विंध्याचल परियोजना के कार्यकारी निदेशक देवाशीष मुखर्जी, सिंगरौली जिले के पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप शेंडे बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने आसपास के ग्रामीणों को अलर्ट किया.
आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंगरौली में कुल ताप बिजलीघरों की संख्या 10 है. देश भर के लिए बिजली पैदा करने वाले इस इलाके में कुल 21,000 मेगावॉट बिजली उत्पादित की जाती है. इसके लिए साल भर में कोई 10.3 करोड़ टन कोयले की खपत होती है. इतनी बड़ी मात्रा में कोयले की खपत से हर साल तकरीबन 3.5 करोड़ टन फ्लाई ऐश (राख) पैदा होती है, जिसका पर्याप्त इस्तेमाल हो नहीं पा रहा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)