राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि संघ का नाम लेकर, हिंदुओं का नाम लेकर एक षड्यंत्र चल रहा है, यह सबको समझना चाहिए. लिंचिंग कभी हमारे देश में रहा नहीं, आज भी नहीं है.
नागपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि मॉब लिंचिंग पश्चिमी तरीका है. भारत और संघ को बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.
भागवत ने विजयदशमी के मौके पर आरएसएस के स्थापना दिवस पर नागपुर के रेशमी बाग मैदान में शस्त्र पूजा के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘लिंचिग शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर न थोपें.’
उन्होंने कहा, ‘लिंचिंग पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.’
मोहन भागवत ने कहा, ‘हिंसा की घटनाएं बढ़ती हैं तो ऐसे भी समाचार आए हैं कि एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के किसी इक्का-दुक्का व्यक्ति को पकड़कर पीटा, मार डाला, हमला किया. ये भी ध्यान में आता है कि किसी एक ही समुदाय की ओर से दूसरे समुदाय को रोका गया जबकि ऐसा नहीं है. उल्टा भी हुआ है. ये भी हुआ है कि कुछ नहीं हुआ है, तो बना दिया गया. उकसाकर घटनाएं कराई गई हैं. दूसरे किसी मामले को भी इसका रंग दे दिया गया लेकिन अगर 100 घटनाओं की रिपोर्ट छपी होंगी तो दो-चार में तो ये बात ऐसे ही हुई होगी, जिसे स्वार्थी शक्तियां दूसरे ढंग से उजागर करती हैं.’
भागवत ने कहा, ‘किसी एक समुदाय के कुछ लोगों ने कुछ किया तो उसे उस पूरे समुदाय पर थोप देंगे. ये किसी के पक्षधर नहीं हैं. समाज के दो समुदायों के बीच झगड़ा हो यही उनका उद्देश्य है. समाज के पक्षधर लोगों को उसमें घसीटेंगे. संघ का नाम लेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटनाओं में संघ का संबंध नहीं है. संघ का कोई स्वयंसेवक ऐसे झंझटों में नहीं पड़ता, बल्कि रोकने का प्रयास करता है. गलती से कोई उसमें फंस गया तो संघ उसे बचाने का प्रयास नहीं करता. संघ उससे कहता है कि तुम कानून की प्रक्रिया के जरिए खुद को निर्दोष साबित करो.’
संघ प्रमुख ने कहा, ‘संघ का नाम लेकर, हिंदुओं का नाम लेकर एक षड्यंत्र चल रहा है, यह सबको समझना चाहिए. लिंचिंग कभी हमारे देश में रहा नहीं, आज भी नहीं है. आज भी हमारे संविधान में ऐसा कुछ नहीं है. उदारता की हमारी परंपरा है, सबको स्वीकार करने की हमारी परंपरा है. यहां ऐसी बातें कभी हुईं नहीं, जिन देशों में हुई ये उन देशों के लिए यह शब्द है- लिंचिंग.’
भागवत ने कहा, ‘लिंचिंग हमारे देश में कभी नहीं हुई. ये शब्द कहां-कहां से आए हैं. इससे संंबंधित पुरानी कहानी पर बाहर (विदेश) एक धर्मग्रंथ तैयार हुआ, उससे मिलती है. एक घटना से कि एक गांव में एक महिला को पत्थरों से मारने के लिए लोग जुट गए, वहां ईसा मसीह पहुंच गए. उन्होंने कहा कि यह पापी है इसलिए आप इसे पत्थरों से मार रहे हैं. ठीक है लेकिन पहला पत्थर वो उठाए, जिसने पाप नहीं किया हो तो सभी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो ये घटनाएं कहां की हैं? जहां की हैं, वहां उसके लिए शब्द है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां ऐसा कुछ हुआ नहीं, ये छिटपुट समूहों की घटनाएं हैं, जिन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. हमारे देश की परंपरा उदारता, भाईचारे से रहने की है. दूसरे देश से आई परंपरा से हमारे ऊपर शब्द (लिंचिंग) थोपेंगे और हमारे समाज, देश को दुनिया में बदनाम करने की कोशिश करेंगे.’
स्वयंसेवकों को संबोधित हुए भागवत ने कहा कि संघ अपने इस नजरिये पर अडिग है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है.
उन्होंने कहा, ‘संघ की अपने राष्ट्र की पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है कि भारत हिंदुस्तान, हिंदू राष्ट्र है.’
सर संघचालक ने कहा कि राष्ट्र के वैभव और शांति के लिए काम कर रहे सभी भारतीय हिंदू हैं.
भागवत ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सराहना भी की.
उन्होंने कहा, ‘यह कदम अपनी पूर्णता तब प्राप्त कर लेगा, जब 370 के प्रभाव में न हो सके न्याय कार्य सम्पन्न होंगे तथा उसी प्रभाव के कारण अब तक चलते आए अन्यायों की समाप्ति होगी.’
भागवत ने कहा, ‘बीते कुछ वर्षों में भारत की सोच की दिशा में एक परिवर्तन आया है, जिसे न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी हैं और भारत में भी और निहित स्वार्थों के लिए ये शक्तियां भारत को दृढ़ और शक्ति संपन्न नहीं होने देना चाहतीं.’
देश की सुरक्षा पर संघ प्रमुख ने कहा, ‘सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारी सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति और हमारी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.’
संघ प्रमुख ने देश की तटीय सीमाओं की सुरक्षा पर ज्यादा जोर दिए जाने की जरूरत भी रेखांकित की.
उन्होंने कहा, ‘हमारी स्थल सीमा और जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी. देश के अंदर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण में भी वृद्धि हुई है.’
उन्होंने चंद्रयान-2 अभियान के लिए वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए कहा, ‘हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अपना चंद्रयान ‘विक्रम’ उतारा. यद्यपि अपेक्षा के अनुरूप पूर्ण सफलता न मिली, परंतु पहले ही प्रयास में इतना कुछ कर पाना. यह भी सारी दुनिया के लिए अब तक साध्य न हुई बात थी.’
मालूम हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 में विजयादशमी के दिन ही डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी.
इस वार्षिक समारोह में एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर मुख्य अतिथि थे.
नाडर ने कहा कि निजी क्षेत्र, नागरिक और गैर सरकारी संगठन चुनौतियों से निपटने के लिए सामने आएं. उन्होंने कहा, ‘अकेले सरकार देश को अगले स्तर तक नहीं ले जा सकती है, इसके लिए सभी पक्षकारों की बराबर भागीदारी की जरूरत है.’
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस भी इस समारोह में मौजूद थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)