जम्मू कश्मीर: पर्यटकों का स्वागत, पर प्रेस काउंसिल को मनाही

जम्मू कश्मीर सरकार ने पर्यटकों को राज्य में आने की अनुमति देने के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा है कि उनकी फैक्ट-फाइंडिंग टीम 4 नवंबर के बाद ही राज्य में आ सकती है.

/
A view of Srinagar's Lal Chowk on Wednesday October 9th 2019. Photo: PTI

जम्मू कश्मीर सरकार ने पर्यटकों को राज्य में आने की अनुमति देने के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा है कि उनकी फैक्ट-फाइंडिंग टीम 4 नवंबर के बाद ही राज्य में आ सकती है.

A view of Srinagar's Lal Chowk on Wednesday October 9th 2019. Photo: PTI
श्रीनगर का लाल चौक. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के 2 अगस्त को अनुच्छेद 370 के प्रावधान ख़त्म करने से पहले पर्यटकों के राज्य छोड़ने को लेकर जारी की गई एडवाइजरी ख़ारिज करने के निर्देश देने के दो दिन बाद जम्मू कश्मीर सरकार के अतिरिक्त सचिव ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को सूचित किया है कि उनकी फैक्ट-फाइंडिंग टीम 4 नवंबर के बाद ही राज्य में आ सकती है.

28 सदस्यीय काउंसिल ने राज्य की स्थितियों का जायज़ा लेने के लिए चार सदस्यों की एक सब-कमेटी भेजने का निर्णय लिया था. इस बारे में उन्होंने 27 अगस्त को जम्मू कश्मीर सरकार को चिट्ठी लिखी थी.

इसके जवाब में 9 अक्टूबर को ईमेल के जरिये अतिरिक्त सचिव ने बताया कि सब-कमेटी के आवेदन पर संज्ञान लिया गया है और राज्य के वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए और श्रीनगर से जम्मू तक कार्यालयों को स्थानांतरित करने के कारण, सब-कमेटी 4 नवंबर के बाद किसी भी दिन राज्य में आ सकती है.

इस ईमेल के जवाब में इस सब-कमेटी के संयोजक पीके दास ने उन्हें 12 से 17 अक्टूबर के अपने प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम की सूचना दी है.

यह भी पढ़ें: जब पत्रकार सत्ता की भाषा बोलने लगें…

प्रेस काउंसिल तब से विवादों में आया जब से इसके अध्यक्ष जस्टिस सीके प्रसाद ने एकतरफा तरीके से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में हस्तक्षेप की मांग की. यह याचिका जम्मू कश्मीर में लगी संचार पाबंदियों को हटाने के लिए कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन द्वारा दायर की गई थी.

जस्टिस प्रसाद के इस कदम की मीडिया संगठनों, पत्रकारों और काउंसिल के पूर्व और वर्तमान सदस्यों कड़ी आलोचना की थी. इन मीडिया संगठनों में एडिटर्स गिल्ड, प्रेस एसोसिएशन, इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नेशनल अलायन्स ऑफ जर्नलिस्ट्स और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स शामिल थे.

प्रेस काउंसिल अध्यक्ष के इस कदम से वर्तमान सदस्य भी हैरान थे. उनका कहना था कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी.

आलोचना के बाद काउंसिल ने इस बारे में अधिक कुछ नहीं कहा था. इसने प्रस्ताव रखा था कि ‘वे शीर्ष अदालत के सामने एक याचिका दाखिल करेंगे जिसमें बताया जाएगा कि काउंसिल प्रेस की आज़ादी के साथ खड़ी है और मीडिया पर किसी भी तरह का प्रतिबंध स्वीकार नहीं करती. सब-कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद वे इस बारे में विस्तृत जवाब देंगे.’

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)