मुर्शिदाबाद ज़िले में एक शिक्षक बंधु गोपाल पाल के परिवार की नृशंस हत्या के बाद भाजपा ने राज्य की टीएमसी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बंधु पार्टी के कार्यकर्ता थे. बंधु के परिजनों का कहना है कि दोनों दल इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में एक अध्यापक समेत परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के राजनीतिक रंग लेने के बाद उनके परिवार ने कहा है कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं था.
जिले के जियागंज इलाके में मंगलवार को प्राथमिक विद्यालय शिक्षक बंधु गोपाल पाल (35), उनकी गर्भवती पत्नी (28) ब्यूटी पाल और पुत्र आंगन पाल (6) का खून में लथपथ शव उनके घर से मिला था.
इसके बाद स्थानीय भाजपा नेताओं ने यह दावा करते हुए कि वे पार्टी के कार्यकर्ता थे, राज्य सरकार पर निशाना साधा था. वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का कहना था कि बंधु की हत्या पार्टी के अंदरूनी झगड़ों के चलते हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को उनके परिवार ने स्पष्ट किया कि बंधु किसी भी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़े हुए नहीं थे और दोनों ही दल इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं.
सागरदिघी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले साहपुर के बराला गांव में रहने वाली बंधु की 68 वर्षीया मां माया पाल ने इस अख़बार को बताया, ‘वो तो कोरे कागज की तरह था. किसने कहा कि वो भाजपा का सदस्य था? वो कभी भाजपा या टीएमसी से नहीं जुड़ा था. वो कभी आरएसएस के साथ नहीं था. यह सब झूठ फैलाया जा रहा है.’
इस बीच पुलिस ने बताया है कि उन्होंने पूछताछ के लिए चार लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें से दो को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया. साथ ही चश्मदीदों के बयान के आधार पर स्केच भी बनवाए जा रहे हैं.
जहां पुलिस को संदेह है कि यह हत्या निजी दुश्मनी के चलते की गई है, वहीं भाजपा कानून और व्यवस्था का हवाला देते हुए टीएमसी सरकार पर निशाना साध रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने मृत परिवार के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए हैं. विभिन्न स्थानीय नेताओं ने बंधु के भाजपा और संघ से जुड़े होने की बात कही है.
बंधु की परवरिश बराला में अपनी ननिहाल के घर में हुई थी. उनके ममेरे भाई बंधु कृष्ण घोष ने अख़बार से बात करते हुए कहा, ‘दिलीप घोष ने कल कहा कि मेरा भाई ‘भाजपा परिवार’ से था. वो झूठ बोल रहे हैं. मेरा भाई हमारे परिवार से था. मैंने उसे बचपन से देखा था. वो केवल मेरा भाई नहीं बल्कि सबसे अच्छा दोस्त भी था. जब कभी भी हम राजनीति की बात करते थे, वो उठकर चला जाता था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘तृणमूल के नेता कह रहे हैं कि कि ऐसा भाजपा की अंतर्कलह की वजह से हुआ. वे सत्तारूढ़ पार्टी हैं, उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन लोगों ने मेरे भाई, उसकी पत्नी और छोटे बच्चे को मारा, पुलिस उन्हें पकड़े. किसी को भी इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.’
इस अख़बार से बात करते हुए बंगाल आरएसएस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता बिद्युत रॉय ने बताया, ‘बंधु बीते चार महीनों से हमारे संपर्क में थे और कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा भी लिया था. वे नए ही थे. मैं नहीं मानता कि उनकी हत्या इसलिए हुई कि वे हमसे संपर्क में थे. लेकिन हम इस हत्या की निंदा करते हैं और दोषी को सजा मिलनी चाहिए.’
बंधु के पड़ोसी और भाजपा की जिला कमेटी के नेता मनोज सरकार ने भी उनके किसी राजनीतिक दल से संबद्ध होने की बात को नकारा है. मनोज जियागंज-आज़मगंज म्युनिसिपल्टी के वॉर्ड 16 के पूर्व पार्षद भी हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह परिवार ज्यादातर अपने में ही रहता था. कभी बाजार या स्कूल जाते समय बंधु से बात हो जाया करती थी. उसने कभी राजनीति पर कोई बात नहीं की, न ही हमने कभी उसका किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ाव देखा.’
बंधु के चाचा ने बताया, ‘डेढ़ साल पहले वो अपने परिवार के साथ जियागंज रहने आया था. उसका कहना है था कि यहां उसके बेटे की पढ़ाई ठीक से होगी. आप गांव में किसी से भी पूछ सकते हैं, उसका किसी भी पार्टी से कभी कोई जुड़ाव नहीं रहा. उसने मेहनत से पढ़ाई की और बाद में अपना सारा समय पढ़ाने और अपने व्यापार में लगाया.’
बंधु के परिजनों ने पुलिस पर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जांच में गड़बड़ियां हैं. बंधु कृष्ण घोष का कहना है, ‘वे अब तक फॉरेंसिक टीम को लेकर नहीं आए हैं. हमने सुना है कि हमलावर अपने जूते घर में छोड़ गया था. वे स्निफर डॉग (खोजी कुत्ते) भी लेकर नहीं आये. इतना समय गुजर गया है, अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. मुझे जियागंज थाने के इंचार्ज अधिकारी से मिलने के लिए नौ घंटे इंतज़ार करना पड़ा.’
इस बीच पुलिस का दावा है कि वे मामले को ख़त्म करने के करीब पहुंच चुकी है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘कुछ चश्मदीद हैं, जिन्होंने एक आदमी को घर से निकलकर भागते हुए देखा था. बंधु प्रकाश एक अध्यापक होने के साथ-साथ इंश्योरेंस और फाइनेंशियल कंपनियों के एजेंट के बतौर भी काम करते थे. वे गंभीर आर्थिक परेशानी में थे और उन्होंने काफी पैसा भी गंवाया था.’
इस बात की तस्दीक बंधु के परिवार ने भी की है कि उन्होंने चेन मार्केटिंग कंपनियों और इंश्योरेंस स्कीम में पैसा खोया था.
घटना के चश्मदीदों में मनोज सरकार के भाई पंकज भी एक हैं. उन्होंने बताया, ‘मैंने घर से कोई आवाज़ या चीख तो नहीं सुनी. दोपहर के वक्त मैंने एक आदमी को घर से निकलकर भागते हुए देखा. मैंने उसका पीछा किया लेकिन पकड़ नहीं पाया. जब मैं लौटा तो बंधु के घर के सामने भीड़ लगी हुई थी और लोग बता रहे थे कि उनकी हत्या कर दी गई.’
मुर्शिदाबाद के एसपी मुकेश कुमार ने बताया कि जांच जारी है और चार लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘दो को छोड़ दिया है और बाकी दो से पूछताछ की जा रही है. सीआईडी भी हमारे साथ मिलकर काम कर रही है. हमारे पास चश्मदीद गवाह हैं. मामले में एक व्यक्ति फरार है. हम प्रोफेशनल हत्या करने वाले एंगल की भी जांच कर रहे हैं.’