बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रेंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाली केरल की नन सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को बीते अगस्त में चर्च से निष्कासित कर दिया था. सिस्टर लूसी ने अपने निष्कासन के ख़िलाफ़ वेटिकन में गुहार लगाई थी.
कोच्चि (केरल): वेटिकन ने ‘फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कोंग्रेगेशन’ (एफसीसी) के फैसले के खिलाफ दायर केरल की एक नन की अपील खारिज कर दी है. एफसीसी ने उन्हें जीवनशैली को लेकर संतोषजनक जवाब दे पाने में नाकाम रहने पर निष्कासित किया था.
सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को इस साल अगस्त में एफसीसी से निष्कासित कर दिया था. सिस्टर लूसी ने उस प्रदर्शन में हिस्सा लिया था जिसमें एक नन के साथ बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रेंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग की गयी थी.
गिरजाघर से जुड़े सूत्रों ने यहां बताया, ‘वेटिकन ने उनकी अपील खारिज कर दी है.’ हालांकि, अपील दायर करने के लिये उनके पास एक मौका और है. सूत्रों ने बताया कि अगर वह अपील भी खारिज हो गयी तो उन्हें कान्वेंट छोड़ना पड़ेगा.
एफसीसी का आरोप है कि उन्होंने अपनी कविताओं का प्रकाशन कर कार खरीदी और बलात्कार के आरोपी एवं जालंधर डायोसिस के पूर्व बिशप के खिलाफ एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.
वहीं, सिस्टर लूसी ने खुद पर लगाये गये आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि ‘उनकी छवि खराब करने के प्रयास के तहत जानबूझकर’ ये आरोप लगाये गये.
पीटीआई के अनुसार, वेटिकन के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए नन ने कहा, यह फैसला उन्हें सुनवाई का मौका दिए हुए लिया गया. उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है इसलिए वह कान्वेंट छोड़कर नहीं जाएंगी.
सिस्टर लूसी को भेजे गए 5 अगस्त के पत्र में अलुवा स्थित कोंग्रेगेशन के प्रमुख एन जोसेफ ने कहा था कि एफसीसी के नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें जीवनशैली को लेकर संतोषजनक जवाब दे पाने में नाकाम रहने पर निष्कासित किया जाता है.
नन के एकतरफा निष्कासन का फैसला इस साल 11 मई को कोंग्रेगेशन के महापरिषद की बैठक में लिया गया. इसे वेटिकन में ओरिएंटल चर्चों के लिए नई दिल्ली में पोप के कार्यालय के माध्यम से मंजूर किया गया था.
मामला ये है कि एक नन ने जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच उसके साथ 13 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है. यह घटना जालंधर डायोसीस द्वारा कोट्टयम जिले में संचालित कॉन्वेंट के बिशप के दौरे के दौरान हुई.
बिशप ने इन आरोपों का खंडन किया है. हालांकि 54 वर्षीय बिशप को अस्थाई रूप से धर्मगुरू संबंधी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था.
बता दें कि नन से बलात्कार के आरोप में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को पिछले साल 21 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद 15 अक्टूबर को उन्हें अदालत से सशर्त जमानत मिल गई थी. जमानत पर रिहा होने के बाद जालंधर में उनका फूल-माला से स्वागत हुआ.
इसके बाद मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाली पांचों ननों का केरल के कैथोलिक चर्च ने कुराविलंगड़ स्थित अपने मिशनरीज ऑफ जीसस कॉन्वेंट से तबादला कर दिया था. इसके बाद दोबारा उनसे कहा गया कि वे आदेश का पालन करें और समूह के परिसर को छोड़कर जाएं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)