भारतीय मुक्केबाज़ी महासंघ की नीति थी कि महिला वर्ग में ओलंपिक क्वालीफायर में जाने का नियम सिर्फ स्वर्ण और रजत पदक विजेताओं पर लागू होता है. आरोप है विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली मैरीकॉम को बीएफआई ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए भेजना चाहता है.
नई दिल्ली: पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन निखत ज़रीन ने खेल मंत्री किरेन रिजीजू को पत्र लिखकर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) पर मैरीकॉम को वैश्विक खेलों में सीधा प्रवेश देने के लिए नियमों में फेरबदल का आरोप लगाया है.
अपने पत्र में उन्होंने अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर्स 2020 के लिए भारतीय टीम का चयन करने से पहले एमसी मैरीकॉम के खिलाफ ट्रायल मुकाबला करवाने की मांग की है.
मैरीकॉम (51 किग्रा) ने रूस में हाल में समाप्त हुई विश्व चैंपियनशिप में अपना आठवां पदक हासिल किया. उन्हें इस प्रतियोगिता के लिए ज़रीन की जगह प्राथमिकता दी गई थी.
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने तब ट्रायल से इनकार कर दिया था और मैरीकॉम के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें टीम में रखने का फैसला किया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बीते मंगलवार को बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए मुक्केबाजी की 51 किलोग्राम श्रेणी में मैरीकॉम और निखत ज़रीन के बीच कोई ट्रायल मुकाबला नहीं होगा.
रिपोर्ट के अनुसार, बीते अगस्त महीने में तब विवाद हो गया था जब बीएफआई ने विश्व चैंपियनशिप के ट्रायल मुकाबले के लिए मैरीकॉम के खिलाफ निखत ज़रीन को मौका ही नहीं दिया था.
बीएफआई की अब विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद ओलंपिक क्वालीफायर्स के लिए भी मैरीकॉम को भेजने की योजना है.
'Rules changed to accommodate Mary Kom': Nikhat Zareen asks Sports Ministry for fair Olympic chance
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— ANI Digital (@ani_digital) October 17, 2019
अपने पत्र में ज़रीन ने कहा, ‘कांस्य पदक विजेता मैरीकॉम को शामिल करने के लिए केवल स्वर्ण और रजत पदक विजेता को विश्व चैंपियनशिप से छूट देने के अपने फैसले में बीएफआई ने बदलाव किया है.’
दरअसल, इस विश्व चैंपियनशिप से पहले बीएफआई की नीति थी कि महिला एवं पुरुष दोनों वर्गों में पदक विजेता खिलाड़ियों को ही ओलंपिक क्वालीफायर में भेजा जाएगा और उन्हें ट्रायल्स नहीं देना होगा. हालांकि, महिला वर्ग में ओलंपिक क्वालीफायर में जाने का नियम सिर्फ स्वर्ण और रजत पदक विजेताओं पर लागू होता है.
इस तरह से वह अपने पिछले फैसले से पीछे हट रहा है. बता दें कि ओलंपिक क्वालीफायर्स अगले साल फरवरी में चीन में होंगे.
All I want is a fair chance.If I'm not given the opporunity to compete what am I training for. Sports is about FairPlay & I dont want to loose faith in my country.Jai Hind @KirenRijiju @RijijuOffice #AjaySingh @Media_SAI @DGSAI @BFI_official @kishanreddybjp @PMOIndia #TopsAthlete pic.twitter.com/t1ie62tMJy
— Nikhat Zareen (@nikhat_zareen) October 17, 2019
ज़रीन ने अपने पत्र में लिखा है, ‘सर, खेल का आधार निष्पक्षता है और किसी को हर समय खुद को साबित करने की जरूरत होती है. यहां तक कि ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए फिर से मुकाबला करना होता है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं किशोरावस्था से ही मैरीकॉम से प्रेरित रही हूं. इस प्रेरणा के साथ न्याय करने का सबसे अच्छा तरीका यही हो सकता है कि मैं उनकी तरह एक महान मुक्केबाज बनने का प्रयास करूं. क्या मैरीकॉम खेल की इतनी बड़ी हस्ती हैं कि उन्हें प्रतिस्पर्धा से दूर रखने की जरूरत है.’
दिलचस्प बात यह है कि बीएफआई का पुरुष वर्ग के मानदंडों के अनुसार, कांस्य पदक विजेता का भी सीधा चयन होगा.
ज़रीन ने लिखा है, ‘आखिर जब 23 बार के स्वर्ण पदक विजेता माइकल फेल्प्स को भी ओलंपिक के लिए हर बार नए सिरे से क्वालीफाई करना पड़ा तो हम सभी को भी ऐसा करना चाहिए.’
मैरीकॉम कहती रही हैं कि चयन ट्रायल पर वह बीएफआई के दिशानिर्देशों का पालन करेंगी और अगर महासंघ कहता है तो ट्रायल में भाग लेंगी.
खेल मंत्रालय किसी भी राष्ट्रीय महासंघ के चयन मामलों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकता जब तक कि उस खेल की अंतरराष्ट्रीय संस्था ऐसा करने के लिए नहीं कहे क्योंकि इस तरह का कोई भी कदम ओलंपिक चार्टर का उल्लंघन माना जाता है.
ज़रीन ने कहा कि अगर ट्रायल होता है और वह हार जाती हैं तो उन्हें यह तो एहसास होगा कि उन्हें कम से कम मौका तो मिला.
उन्होंने कहा, ‘मैं मदद नहीं केवल निष्पक्षता चाहती हूं. ट्रायल के बाद मैरीकॉम या अन्य कोई भी मुक्केबाज क्वालीफाई करती है तो कम से कम हम यह सोचकर चैन की नींद तो सो सकते हैं कि प्रत्येक दावेदार को ओलंपिक में भारत को गौरवान्वित करने के लिए हर संभव मौका दिया गया.’
निखत तेलंगाना के निजामाबाद से ताल्लुक रखती हैं. इस साल मई में गुवाहाटी में हुए दूसरे इंडिया ओपेन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में उन्होंने रजत पदक जीता था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)