उत्तर प्रदेश: किसान की हिरासत में मौत मामले में तीन पुलिसवालों के ख़िलाफ़ हत्या का केस दर्ज

उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के पिलखुवा इलाके का मामला. किसान प्रदीप तोमर को उसकी एक रिश्तेदार की पत्नी की हत्या के सिलसिले में पुलिस ने हिरासत में लिया था.

(फोटो साभार: ट्विटर/यूपी पुलिस)

उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के पिलखुवा इलाके का मामला. किसान प्रदीप तोमर को उसकी एक रिश्तेदार की पत्नी की हत्या के सिलसिले में पुलिस ने हिरासत में लिया था.

(फोटो साभार: ट्विटर/यूपी पुलिस)
(फोटो साभार: ट्विटर/यूपी पुलिस)

हापुड़: उत्तर प्रदेश के तीन पुलिसकर्मियों और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ कथित तौर पर हिरासत में किसान की मौत के प्रकरण में हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि बीते 17 अक्टूबर की रात को मृतक प्रदीप तोमर के भाई कुलदीप तोमर की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई.

करीब डेढ़ महीने पहले 35 वर्षीय प्रदीप को उसकी एक महिला रिश्तेदार की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए हापुड़ के पिलखुवा इलाके में छिजारसी पुलिस थाने में हिरासत में लिया गया था.

मृतक के परिवार ने आरोप लगाया था कि प्रदीप को पूछताछ के दौरान बेरहमी से पीटा गया, जिससे उसकी हालत बुरी तरह बिगड़ गई. आरोप में यह भी कहा गया कि प्रदीप से पूछताछ के दौरान उसका 10 साल का बेटा पुलिस चौकी के बाहर इंतजार करता रहा.

हापुड़ के पुलिस अधीक्षक यशवीर सिंह ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 323 (हमला) के तहत क्षेत्राधिकारी संतोष कुमार, थाना प्रभारी योगेश बालियान, उप-निरीक्षक अजब सिंह और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस के मुताबिक, थाना प्रभारी बालियान और उप-निरीक्षक सिंह को पहले ही एक कॉन्स्टेबल के साथ निलंबित कर दिया गया है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

आयोग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि किसान की पुलिस हिरासत में 13 अक्टूबर को मौत हुई थी. उसे हत्या के एक मामले में पूछताछ के दौरान बर्बरता से पीटा गया था.

बयान के अनुसार, पूछताछ के दौरान उसको लात मारी गई, घूंसे से प्रहार किया गया, डंडों से पीटा गया, बिजली का करंट दिया गया और पेंचकस से छेदा गया. उसके शव के एक वीडियो में उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान साफ नजर आ रहे हैं.

आयोग ने इस संबंध में मीडिया खबरों पर संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस हिरासत में उक्त व्यक्ति के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है. इसके लिए राज्य के पुलिस बल की जवाबदेही बनती है.

एनएचआरसी ने पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह को निर्देश दिया है कि वह आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में जानकारी दें.

आयोग ने मुख्य सचिव से पीड़ित परिवार की, खास तौर पर मृतक के नाबालिग बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है, जो हिरासत में अपने पिता की कथित यातना और मौत के आघात से गुजर रहा है.

एनएचआरसी ने कहा, ‘चार सप्ताह में दोनों प्राधिकरणों से विस्तृत रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है.’

द हिंदू की रिपोर्ट की मुताबिक, 30 अगस्त को पिलखुवा इलाके के लाखन गांव में एक महिला की लाश जली अवस्था में मिली थी. इस सिलसिले में पुलिस ने गांव के ही प्रदीप तोमर (30) को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था.

पुलिस ने बताया कि मामले में प्रदीप के रिश्तेदार और भाड़े पर लिए गए दो हत्यारों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.

मालूम हो कि प्रदीप तोमर पिलखुआ में अपने घर पर पत्नी से यह कहकर बाहर निकले थे कि उनके छोटे भाई की बाइक का टायर पंचर हो गया है और वह उसकी मदद को जा रहा है. तोमर अपने 11 वर्षीय बेटे को साथ ले गए थे. रास्ते में उन्हें पुलिस पूछताछ के लिए उठा कर ले गई.

तोमर के पुत्र ने बताया कि पुलिसवालों ने उनके पिता को पीटा और उन्हें भी थप्पड मारे और उसके मुंह में बंदूक की नली डालकर पुलिसवालों ने धमकाया कि उन्होंने जो कुछ देखा, वह किसी को बताएगा नहीं.

आरोप है कि पुलिसकर्मी नशे में थे. प्रदीप स्थानीय अस्पताल तो ले जाया गया लेकिन कोई इलाज नहीं कराया गया और एक कमरे में बंद कर दिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)