सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित संत रविदास मंदिर दोबारा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 200 वर्ग मीटर जमीन देने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि, आंदोलनकारियों ने सरकार की पेशकश को धोखा करार देते हुए मानने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने रविदास मंदिर ढहाने को लेकर दंगा करने और हिंसक प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को शनिवार को जमानत दे दी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीरा बी. ने 20,000 रुपये का मुचलका भरने और इतनी ही राशि की जमानत राशि भरने के बाद आजाद को जमानत दे दी. अदालत ने कहा कि वह जांच को बाधित या सबूतों से छेड़छाड़ न करें. साथ ही कहा कि आजाद अदालत की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकते.
गौरतलब है कि दलित समुदाय के सदस्यों ने रविदास मंदिर को ढहाने को लेकर दक्षिण दिल्ली में हिंसक प्रदर्शन किया था. इसके बाद दंगा करने, गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने, सरकारी सेवकों पर हमला करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा लोगों को चोट पहुंचाने समेत विभिन्न आरोपों में आजाद को 95 अन्य लोगों के साथ अगस्त में गिरफ्तार किया गया था.
इसके बाद दिल्ली की एक अदालत ने तुगलकाबाद इलाके में कथित रूप से दंगा करने और अवैध रूप से जमा होने के आरोप में हिरासत में लिए गए भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और 95 अन्य को गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
गौरतलब है कि दिल्ली आए हजारों लोगों ने तोड़े गए मंदिर की ओर कूच करने की कोशिश की थी. पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो इन लोगों ने पथराव शुरू कर दिया. उग्र होती भीड़ को रोकने के लिए आखिर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. इसके बाद भीड़ की पुलिस से खूब झड़प हुई. भीड़ ने तुगलकाबाद इलाके में सड़क पर खड़ी गाड़ियों को तोड़ना शुरू कर दिया. इस दौरान 100 से अधिक गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए गए थे.
हिंसक होती भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले भी चलाए. इसके बाद लाठियां भांजीं गईं. बवाल के दौरान कई पुलिसकर्मियों के अलावा भीड़ में मौजूद दर्जनों लोग जख्मी हो गए.
प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि सरकार तुगलकाबाद में भूखंड समुदाय को सौंपे और मंदिर का पुनर्निर्माण कराया जाए.
दैनिक जागरण के अनुसार, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बीते शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मंदिर दोबारा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 200 वर्ग मीटर जमीन देने पर सहमति जताई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि वहां पर 200 वर्ग मीटर क्षेत्र का भूभाग मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए तैयार है.
वेणुगोपाल ने कहा कि श्रद्धालुओं और सरकारी अफसरों समेत सभी पक्षों से इस बारे में बातचीत की है. केंद्र इस मसले की संवेदनशीलता और मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए उतना ही बड़ा प्लाट देने के लिए राजी है, जितने बड़े प्लाट पर मंदिर था. उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर को हटाए जाने के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले सात में से पांच याचिकाकर्ता इस प्रस्ताव पर सहमत हैं.
कुल सात पार्टियों में से पांच के वकीलों के प्रस्ताव के समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं.
नवभारत टाइम्स के अनुसार, हालांकि, आंदोलनकारियों ने सरकार की पेशकश को धोखा करार देते हुए मानने से इनकार कर दिया है. रविदास मंदिर मिशन की अगुआई कर रहे संत सुखदेव महाराज ने कहा कि उन लोगों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. रविदास समुदाय सरकार की इस पेशकश के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि उनका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा.
आंदोलन के प्रवक्ता अशोक भारती ने बताया कि तुगलकाबाद में रविदास धाम की 12 बीघा 7 बिस्वा जमीन को सरकार ने छीना है. उसकी एवज में सरकार 200 वर्गमीटर जमीन दे रही है. वह संत शिरोमणि गुरु रविदास का पक्का मंदिर तोड़कर पोर्टा केबिन या लकड़ी का मंदिर बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पेश सरकार का प्रस्ताव उन लोगों को मान्य नहीं है.
अशोक भारती ने बताया कि सरकार ने अपने प्रस्ताव में इस जगह पर किसी भी तरह के पक्के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है. सरकार ने पारंपरिक प्रबंधन की जगह खुद एक नई समिति बनाने का प्रस्ताव भी रखा है. यह भी समाज को स्वीकार्य नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह संत रविदास का अपमान है और हमारी आस्था पर चोट है. दलित समाज एकजुट होकर पूरी ताकत के साथ इसका विरोध करेगा. समाज 21 अक्टूबर को जंतर मंतर पर एक दिन का सांकेतिक धरना देगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)