आईएनएक्स मीडिया: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई मामले में चिदंबरम को जमानत दी

चूंकि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में ही ईडी द्वारा दर्ज एक अन्य केस में गिरफ्तार किए गए हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी वे जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं.

New Delhi: Senior Congress leader and finance minister P. Chidambaram after he was produced in a CBI court in INX media case in New Delhi, Thursday, Aug 22, 2019. PTI Photos
New Delhi: Senior Congress leader and finance minister P. Chidambaram after he was produced in a CBI court in INX media case in New Delhi, Thursday, Aug 22, 2019. PTI Photos

चूंकि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में ही ईडी द्वारा दर्ज एक अन्य केस में गिरफ्तार किए गए हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी वे जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं.

New Delhi: Senior Congress leader and finance minister P. Chidambaram after he was produced in a CBI court in INX media case in New Delhi, Thursday, Aug 22, 2019. PTI Photos
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस में जमानत दे दी.

जस्टिस आर. भानुमति, एस बोपन्ना और ऋषिकेश रॉय ने बीते 18 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा चिदंबरम को जमानत न देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. पिछले महीने 30 सितंबर को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम को जमानत देने से मना कर दिया था.

लाइव लॉ के मुताबिक चूंकि चिदंबरम आईएनएक्स मामले में ही ईडी द्वारा दर्ज एक अन्य केस में गिरफ्तार किए गए हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी वे जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने एक लाख रुपये के निजी बॉन्ड और दो जमानती बॉन्ड जमा करने के शर्त पर जमानत दी है. न्यायालय ने यह भी कहा कि चिदंबरम जांच में सहयोग देंगे और देश नहीं छोड़ेंगे. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ चल रही अन्य कार्यवाही पर जमानत का कोई असर नहीं होगा.

सीबीआई ने 2007 में बतौर वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा 305 करोड़ रूपए के निवेश की मंजूरी दिये जाने में कथित अनियमितताओं को लेकर 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

अपनी जमानत याचिका में, चिदंबरम की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी. उन्होंने दावा किया कि पूर्व वित्त मंत्री को कानून का दुरुपयोग कर और ‘केंद्र सरकार के इशारे पर’ गिरफ्तार किया गया था.

पूर्व वित्त मंत्री ने अपने पहले के तर्क को दोहराया जो उनके वकील पिछले एक महीने से इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जांच में छेड़छाड़ की आशंका का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे साक्ष्य पेश करे कि किस आधार पर चिदंबरम के दर्जे की वजह से जांच में बाधा आएगी.

वहीं अपनी प्रतिक्रिया में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से सीबीआई ने कहा कि चिदंबरम को जमानत देने से बहुत गलत मिसाल कायम होगा और यह भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ के खिलाफ जाएगा.