मलेशियाई प्रधानमंत्री कश्मीर पर आक्रमण कर भारत के क़ब्ज़ा करने वाले अपने बयान पर क़ायम

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा था कि भारत ने जम्मू कश्मीर पर ‘आक्रमण करके क़ब्ज़ा’ किया है. बयान पर भारत के आपत्ति जताने के बाद उन्होंने कहा कि हम अपने मन की बात बोलते हैं और इससे पलटते नहीं हैं.

मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद. (फोटो: रॉयटर्स)

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा था कि भारत ने जम्मू कश्मीर पर ‘आक्रमण करके क़ब्ज़ा’ किया है. बयान पर भारत के आपत्ति जताने के बाद उन्होंने कहा कि हम अपने मन की बात बोलते हैं और इससे पलटते नहीं हैं.

मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद. (फोटो: रॉयटर्स)
मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद. (फोटो: रॉयटर्स)

कुआलालंपुर: मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने मंगलवार को कहा कि वह कश्मीर पर अपने बयान पर कायम है तथा वह अपने मन की बात बोलते हैं और इसे पलटते एवं बदलते नहीं हैं. कश्मीर पर उनके बयान को लेकर भारत द्वारा आपत्ति जताये जाने के कई दिन बाद उनकी यह प्रतिक्रिया आयी है.

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए महातिर ने आरोप लगाया था कि भारत ने जम्मू कश्मीर पर ‘आक्रमण करके कब्जा’ किया है.

उन्होंने कहा कि भारत को इस मुद्दे के समाधान के लिये पाकिस्तान के साथ काम करना चाहिये. भारत के विदेश मंत्रालय ने महातिर के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जतायी थी.

महातिर ने संसद में संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘हमने महसूस किया है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से कश्मीर के लोगों को फायदा हुआ था और हम सभी यह कह रहे हैं कि हम न केवल भारत और पाकिस्तान बल्कि अमेरिका और अन्य देशों को भी इसका पालन करना चाहिए.’

‘स्टार’ समाचार पत्र ने मलेशियाई प्रधानमंत्री के हवाले से कहा, ‘हम अपने मन की बात बोलते हैं और हम इसे पलटते और बदलते नहीं हैं.’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि भारत और मलेशिया के बीच पारंपरिक रूप से अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंध है और ‘हम इन टिप्पणियों पर अफसोस जताते हैं क्योंकि ये तथ्यों पर आधारित नहीं है.’

महातिर ने कहा, ‘कभी-कभी, हमारे तनावपूर्ण संबंध रहे लेकिन हम लोगों के साथ दोस्ताना व्यवहार करना चाहते हैं. मलेशिया एक व्यापारिक राष्ट्र है, हमें बाजारों की आवश्यकता है और इसलिए, हम लोगों के लिए अच्छे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन, इसके अलावा, हमें लोगों के लिए बोलना होगा. इसलिए, कभी-कभी हम जो कहते हैं वह कुछ को पसंद आता है और दूसरों को नापसंद आता है.’