दिल्ली के मुख्य सचिव ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को उसके अधिकार क्षेत्रों में आने वाले इलाकों में अवैध रूप से मलबा डालने के लिए ज़िम्मेदार निजी एवं सरकारी एजेंसियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया. दीपावली से पहले दिल्ली में वाय प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. 26 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और अन्य एजेंसियों के नियंत्रण वाली सड़कों एवं क्षेत्रों से भवन निर्माण सामग्री एवं मलबा और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में विफल रहने पर उनके संबंधित कार्यकारी अभियंताओं की तनख्वाह में कटौती करने का शुक्रवार को निर्णय लिया.
दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव की अध्यक्षता में यहां एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया.
बैठक में देव ने संबंधित विभागों और नगर निगमों को यह भी निर्देश दिया कि शहर में प्रदूषण के सबसे बड़े 13 स्थानों के संबंध में कार्ययोजना को उच्च प्राथमिकता दी जाए और इसे दो सप्ताह में पूरा किया जाए.
उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर फेंकी गई निर्माण सामग्री एवं मलबे और अपशिष्टों को 24 घंटे के अंदर हटाया जाए तथा मलबा फेंकने से रोकने के लिए वहां दिन-रात गश्त तेज की जाए.
बैठक का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने कहा, ‘तय किया गया कि पीडब्ल्यूडी और अन्य एजेंसियों के जो भी कार्यकारी अभियंता अपने नियंत्रण वाली सड़कों और क्षेत्रों से मलबा हटाने में लापरवाह हैं, उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उनकी तनख्वाह से उपयुक्त कटौती की जाएगी ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि ऐसी स्थिति में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.’
देव ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को उसके अधिकार क्षेत्रों में आने वाले इलाकों में अवैध रूप से मलबा डालने के लिए जिम्मेदार निजी एवं सरकारी एजेंसियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया.
डीपीसीसी निजी और सरकारी एजेंसियों पर पहले ही 12.5 करोड़ रुपये जुर्माना लगा चुकी है.
मालूम हो कि दीपावली से पहले शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता इस मौसम के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई थी. हवा की गति धीमी होने की वजह से प्रदूषकों का जमाव आसान हो गया है.
राष्ट्रीय राजधानी के ज्यादातर स्थानों पर एक्यूआई ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में दर्ज किया गया जबकि कुछ इलाकों में इसकी स्थिति ‘गंभीर’ की तरफ बढ़ रही है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक नेहरू नगर, अशोक विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, वजीरपुर, बवाना, मुंडका और आनंद विहार में एक्यूआई क्रमश: 340, 335, 339, 349, 344, 363, 381 और 350 दर्ज किया गया.
मालूम हो कि हवा की गुणवत्ता खराब होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकृत पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण ने बीते शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी तथा आस-पास के उपनगरीय शहरों में 26 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक भवन निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा.
दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) के अध्यक्ष भूरे लाल ने इस दौरान फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, सोनीपत और बहादुरगढ़ में कोयला आधारित उद्योगों, बिजली संयंत्रों को बंद करने का निर्देश जारी किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)