यूरोपीय संघ के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू कश्मीर का दौरा कर रहा है. यह शिष्टमंडल अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात जानने गए कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं को वापस भेज दिया गया था.
नई दिल्ली: यूरोपीय संघ के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को जम्मू कश्मीर का दौरा करने की इजाजत देने को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भारतीय नेताओं को वहां जाने की अनुमति नहीं देना और विदेश के नेताओं को इजाजत देना देश की संसद एवं लोकतंत्र का पूरी तरह अपमान है.
When Indian political leaders have been prevented from meeting the people of J&K, what possessed the great chest-beating champion of nationalism to allow European politicians to visit J&K. This is an outright insult to India's own Parliament and our democracy! https://t.co/D48dnctRqE
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 28, 2019
पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, ‘जब भारतीय नेताओं को जम्मू कश्मीर के लोगों से मुलाकात करने से रोक दिया गया तो फिर राष्ट्रवाद के चैम्पियन होने का दावा करने वालों ने यूरोपीय नेताओं को किस वजह से जम्मू कश्मीर का दौरा करने की इजाजत दी?’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह भारत की संसद और लोकतंत्र का अपमान है.’
जयराम रमेश ने येल यूनिवर्सिटी के एक लेक्चचर और पत्रकार सुशांत सिंह के ट्वीट को रिट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है, ‘27 सांसदों का एक समूह (जो आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं) में से 22 दक्षिणपंथी दलों से जुड़े हैं. ये एक एनजीओ की ओर से निजी तौर पर भारत आए हैं और उन्हें भारत सरकार द्वारा कश्मीर घाटी ले जाया जा रहा है.’
To sum it up, a group (not official delegation) of 27 MEPs – 22 of them affiliated to far Right parties – are visiting India in a private capacity – organised by an NGO – and are being taken to Kashmir Valley by the central government.
— Sushant Singh (@SushantSin) October 28, 2019
अनोखा राष्ट्रवाद: प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय सांसदों को रोकना और विदेशी नेताओं को वहां जाने की अनुमति देना अनोखा राष्ट्रवाद है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘कश्मीर में यूरोपीय सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत…. लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुंचते ही हवाई अड्डे से वापस भेजा गया! यह बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है.’
कश्मीर में यूरोपियन सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुँचते ही हवाई अड्डे से वापस भेजा गया!
बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है यह।https://t.co/hAHVigzGFU
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 29, 2019
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि भारतीय सांसदों को रोकने और विदेशी नेताओं को वहां जाने की अनुमति देने में कुछ न कुछ बहुत गलत है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘यूरोप से आए सांसदों का जम्मू-कश्मीर का दौरा करने के लिए स्वागत है जबकि भारतीय सांसदों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी जाती है। कुछ न कुछ ऐसा है जो बहुत गलत है.’
MPs from Europe are welcome to go on a guided tour of Jammu & #Kashmir while Indian MPs are banned & denied entry.
There is something very wrong with that.https://t.co/rz0jffrMhJ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 28, 2019
मालूम हो कि यूरोपीय संघ के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू कश्मीर का दौरा कर रहा है. यह शिष्टमंडल जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा.
ये सांसद जम्मू कश्मीर के स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनके अनुभव जानना चाहते हैं.
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा, ‘जब भारतीय नेता जम्मू-कश्मीर का दौरा करना चाहते हैं तो तथाकथित राष्ट्रवाद के लिए खतरा पैदा हो जाता है. जब यूरोपीय नेता जम्मू कश्मीर का दौरा करते हैं तो क्या यह राष्ट्रवाद के लिए गौरव की बात है?’
दरअसल, जम्मू कश्मीर का दौरा करने से पहले यूरोपीय संघ के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.
मोदी ने इस प्रतिनिधिमंडल से कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने और उसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, मोदी ने उम्मीद जताई कि यूरोपीय संघ सांसदों का देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा उपयोगी होगा और जम्मू कश्मीर की यात्रा से उन्हें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता की बेहतर समझ हो सकेगी.
इस प्रतिनिधिमंडल में इटली के फुल्वियो मार्तुसिएलो, ब्रिटेन के डेविड रिचर्ड बुल, इटली की जियाना गैंसिया, फ्रांस की जूली लेंचेक, चेक गणराज्य के टामस डेकोवस्की, स्लोवाकिया के पीटर पोलाक और जर्मनी के निकोलस फेस्ट शामिल हैं.
मालूम हो कि इससे पहले जम्मू कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद को जम्मू कश्मीर का दौरा करने से मना कर दिया था. उन्हें हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया था.
इसके बाद आज़ाद ने शीर्ष अदालत से जम्मू कश्मीर में अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति भी मांगी थी. आज़ाद का दौरा तब मुमकिन हुआ जब 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दी थी.
इसके अलावा बीते अगस्त महीने में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा खत्म किए जाने के बाद वहां के हालात का जायजा लेने श्रीनगर पहुंचे विपक्ष के नेताओं को वापस दिल्ली भेज दिया गया था.
आठ राजनीतिक दलों का 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए श्रीनगर पहुंचा था. उन्हें वहीं से वापस भेज दिया गया था.
प्रतिनिधिमंडल में आठ राजनीतिक दलों- कांग्रेस, माकपा, भाकपा, द्रमुक, राकांपा, जेडीएस, राजद और टीएमसी के प्रतिनिधि शामिल थे.
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल, सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके सांसद तिरुचि शिवा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, टीएमसी नेता दिनेश त्रिवेदी, सीपीआई महासचिव डी. राजा, एनसीपी नेता मजीद मेमन, राजद नेता मनोज झा और जेडीएस नेता डी. कुपेंद्र रेड्डी आदि शामिल थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)