राजस्थान के अलवर में अप्रैल 2017 में कथित गोरक्षकों की भीड़ ने मवेशी ले जा रहे पहलू ख़ान, उनके दो बेटों और ट्रक चालक पर हमला कर दिया था. इस हमले के दो दिन बाद पहलू ख़ान की अस्पताल में मौत हो गई थी.
नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट ने अप्रैल 2017 में अलवर में पीट-पीटकर मार दिए गए हरियाणा के डेयरी किसान पहलू खान, उनके दो बेटों और वाहन चालक के खिलाफ गो-तस्करी के आरोपों में दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है.
Pehlu Khan case: Rajasthan High Court has ordered to dismiss the FIR and charge-sheet against Pehlu Khan, his two sons and the driver of the vehicle. pic.twitter.com/pXOrfsvjj3
— ANI (@ANI) October 30, 2019
उल्लेखनीय है कि अपने दोनों बेटों के साथ मवेशी ले जा रहे पहलू खान पर एक अप्रैल 2017 को कथित गोरक्षकों की भीड़ ने बहरोड़ (अलवर) में हमला कर दिया था. भीड़ ने उनकी बेरहमी से पिटाई की थी, दो दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
पहलू खान व उनके बेटे मवेशी लेकर हरियाणा के नूह जा रहे थे और हमला करने वाली भीड़ का उन पर गो-तस्करी करने का संदेह था.
पुलिस ने गैर कानूनी तरीके से गोवंश की ढुलाई के मामले में पहलू खान के दो बेटों- इरशाद और आरिफ और ट्रक ऑपरेटर खान मोहम्मद के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था.
पुलिस ने इस साल मई में मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था. हालांकि, पहलू खान की मौत होने के कारण बाद में उनका नाम आरोपपत्र से हटा दिया गया था.
इसके बाद इस साल अगस्त में पुलिस ने गैर कानूनी तरीके से गोवंश की ढुलाई के मामले में पहलू खान के दो बेटों- इरशाद और आरिफ और ट्रक ऑपरेटर खान मोहम्मद के खिलाफ आगे जांच के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें अदालत ने आगे की जांच की मंजूरी दे दी थी.
पहलू खान के बेटों ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर के खिलाफ अपील की थी और उनका कहना था कि वे गोवंश की तस्करी नहीं कर रहे थे, बल्कि इसी खरीदा था और इसके पेपर भी थे.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दस्तावेजों से साफ-साफ पता चलता है कि पहलू खान ने मवेशियों को डेयरी के लिए खरीदा था न कि हत्या के लिए.
पहलू खान के वकील कपिल गुप्ता ने कहा कि जस्टिस पंकज गुप्ता भंडारी की एकल पीठ ने गो-तस्करी में के आरोपों में दर्ज एफआईआर और दाखिल आरोपपत्र को रद्द करने का आदेश दिया है.
गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और आरोपपत्र कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन था. तीनों को राजस्थान गोवंश पशु अधिनियम, 1995 की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया थे, जो हत्या के लिए पशुओं के परिवहन से संबंधित है.