दिल्ली सरकार ने स्कूलों से खुले में होने वाली सभी गतिविधियां रोकने को कहा. घातक प्रदूषण स्तर के चलते डॉक्टरों ने मास्क पहनकर चलने सहित कई सावधनियां बरतने का परामर्श जारी किया है. दफ़्तर आने जाने के समय में बदलाव करने पर हो रहा विचार.
नई दिल्ली/नोएडा: देश की राजधानी नई दिल्ली पर गुरुवार की सुबह भी जहरीली धुंध की चादर छायी रही तथा इसकी वायु गुणवत्ता लगातार तीसरे दिन बदतर रही. इससे दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है.
सुबह आठ बजे शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 408 था, जो बुधवार की रात आठ बजे 415 दर्ज किया गया था. एक्यूआई का 415 की तुलना में 408 होना बेहतर है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, शहर में कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक बीते बुधवार को दिन में 410 से 420 के बीच रहा था.
दिल्ली में स्थित 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 22 ने गुरुवार की सुबह दिल्ली का एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया.
आनंद विहार राष्ट्रीय राजधानी का सर्वाधिक प्रदूषित इलाका रहा, जहां एक्यूआई 466 दर्ज किया गया. इसके बाद 453 एक्यूआई के साथ वजीरपुर दूसरे नंबर पर रहा.
एक्यूआई जब 0-50 होता है तो इसे ‘अच्छी’ श्रेणी का माना जाता है. 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘अत्यंत खराब’, 401-500 को ‘गंभीर’ और 500 से ऊपर एक्यूआई को ‘बेहद गंभीर और आपात’ श्रेणी का माना जाता है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ के अनुसार, दिल्ली में पराली जलाने से प्रदूषण 35 प्रतिशत बढ़ा है जो इस मौसम में सर्वाधिक है. पराली जलाना बुधवार को शहर में छाई धुंध की चादर के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हो सकता है.
सफर ने कहा कि मंगलवार को अत्यंत शांत सतही हवाओं ने समस्या को और बढ़ा दिया.
केंद्र ने गुरुवार को हवा की गति में वृद्धि से वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होने की संभावना जताई है, क्योंकि इससे प्रदूषक कणों को तेजी से उड़ा ले जाने में मदद मिलेगी.
सरकारी एजेंसियों ने दिल्ली की इस हालत का प्रमुख कारण पड़ोसी हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को बताया है.
दिल्ली में गुरुवार को प्रदूषण में पराली जलाने की भागीदारी 27 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान है. मंगलवार को यह 25 प्रतिशत थी.
दिल्ली सरकार ने दीपावली के बाद प्रदूषण के आंकड़ों को देखते हुए शहर के पांच स्थानों की पहचान ‘अत्यंत प्रदूषित’ क्षेत्रों के रूप में की है और नगर निगमों तथा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से इन स्थानों पर कार्रवाई तेज करने को कहा है.
ये ‘अत्यंत प्रदूषित’ क्षेत्र वजीरपुर, आनंद विहार, अशोक विहार, विवेक विहार और बवाना हैं.
मुख्य सचिव विजय कुमार देव ने स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों से प्रदूषण रोकथाम नियमों के उल्लंघन पर ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ करने की नीति अपनाने को कहा.
डॉक्टरों ने मास्क पहनने और सुबह और शाम की सैर से बचने की सलाह दी
प्रदूषण के चलते डॉक्टरों ने लोगों को कई तरह के एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी है. इनमें मास्क पहनने और सुबह एवं शाम की सैर से परहेज शामिल हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि सुबह और शाम के वक्त हवा में प्रदूषक तत्वों की मौजूदगी सबसे ज्यादा रहती है.
वायु प्रदूषण के ‘गंभीर’ श्रेणी में बने रहने के कारण विभिन्न अस्पतालों के चिकित्सकों ने क्या करें और क्या न करें की सलाह दी है.
सर गंगा राम अस्पताल में फेफड़ों के सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा, ‘प्रत्येक 22 माइक्रोग्राम घन मीटर प्रदूषित हवा का अंदर जाना एक सिगरेट पीने के बराबर है. इसलिए पीएम 2.5 का स्तर 700 है या 300 यूनिट, प्रभाव बुरा ही रहेगा. लोगों को एहतियात बरतने होंगे खासकर जो लोग दमा, ब्रोंकाइटिस या सांस संबंधी अन्य बीमारियों से पीड़ित हों.’
शालीमार बाग के फोर्टिस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी एंड स्लिप डिसऑर्डर विभाग के प्रमुख डॉ. विकास मौर्य ने कहा कि वायु प्रदूषण के इस स्तर से सांस संबंधी समस्याओं के अलावा तुरंत प्रभावित करने वाली कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
मौर्य ने कहा, ‘यह सांस संबंधित तंत्र की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे ब्रोंकाइटिस, एंफिसेमा और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. फेफड़ों और दिल पर अत्याधिक तनाव पड़ने से शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है और फेफड़े तेजी से बूढ़े हो सकते हैं.’
मौर्य ने आगे कहा, ‘लोगों को सुनिश्चित करना चाहिए कि घर के भीतर वायु प्रदूषण न हो और किचन में चिमनी और बाथरूम में एक्जॉस्ट लगे हों.’
चिकित्सकों ने लोगों से ज्यादा सावधानी बरतने और सुबह एवं शाम की सैर से बचने को कहा है.
डॉक्टरों ने कहा है कि स्कूलों को सुबह-सुबह बाहर सभाएं करने, खेल-कूद की गतिविधियां और अन्य शारीरिक गतिविधियां कराने से बचना चाहिए.
इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर में इंटर्नल मेडिसिन के डॉ. विजय दत्त ने कहा कि दिवाली के बाद दिल्ली की हवा बेहद खतरनाक हो गई है और प्रदूषक तत्व सभी को नुकसान पहुंचाएंगे लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान दमा के मरीजों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों पर पड़ेगा.
उन्होंने एन95/एन99/एफएफपी3 या ‘एनआईओएसएच से मान्यता प्राप्त’ मास्क पहनने की सलाह दी है. साथ ही कार्डियो कसरत न करने की सलाह दी है. इनसे सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि इस दौरान शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है.
साथ ही उन्होंने शरीर में पानी की कमी नहीं होने देने को अहम बताया है और सब्जियों एवं फलों के जूस के साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी है.
डॉक्टरों ने परिवार में किसी को सांस संबंधी बीमारी होने की सूरत में एलर्जी किट भी तैयार रखने की सलाह दी है जिसमें दवाएं, इनहेलर और नेबुलाइजर हो.
दफ्तर का समय बदलने पर विचार कर रही दिल्ली सरकार
एक विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री के हवाले से बयान में कहा गया, ‘हम यातायात अधिक होने की वजह गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए दफ्तरों में कामकाज के घंटों को बदलने के विचार पर काम कर रहे हैं. यह विचार पूरी दुनिया में परखा जा चुका है.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘दिल्ली में कई जगह ऐसी हैं जहां बुरी तरह जाम लगता है. ये बिंदु ऐसे दफ्तरों पर जाने वाले रास्तों पर हैं जहां हर रोज बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे बिंदुओं और मार्गों की पहचान करेंगे और इनका इस्तेमाल करने वालों के लिए कामकाज के समय को अलग-अलग बांटने की संभावना पर विचार करेंगे.’
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से दिल्ली में दमघोंटू धुंध: केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में दमघोंटू धुंध के लिए बुधवार पड़ोसी राज्यों में पराली जलाये जाने को जिम्मेदार ठहराया और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की सरकारों से अनुरोध किया कि वे इस गतिविधि को रोकने के लिए अपने किसानों को मशीनरी और उपकरण मुहैया करायें.
केजरीवाल ने कहा, ‘सभी देख सकते हैं कि मंगलवार से वायु कितनी प्रदूषित है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने के चलते दिल्ली में दमघोंटू धुंध है. मैं भाजपा से कहना चाहता हूं कि वह दोनों राज्यों में अपनी सरकारों पर दबाव बनाए कि वें अपने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सुविधाएं एवं उपकरण मुहैया कराएं.’
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण बढ़ने के कारण शुक्रवार से स्कूली छात्रों को मास्क बांटना शुरू करेगी. इसके तहत दिल्ली में सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों के बीच 50 लाख एन-95 मास्क बांटे जाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘छात्रों को दो मास्क का एक किट दिया जाएगा जो कि धुंध से निपटने के लिए अच्छी गुणवत्ता का मास्क होता है. मास्क का वितरण एक सप्ताह तक किया जाएगा.’
नोएडा में हवा और जहरीली हुई
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रमुख शहर नोएडा में बृहस्पतिवार को हवा और भी जहरीली हो गई. बुधवार को यहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 441 था जो आज बढ़कर 460 हो गया.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि बृहस्पतिवार सुबह नोएडा में एक्यूआई का स्तर 460 था.
उन्होंने बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए कारण दीपावली पर हुई आतिशबाजी तथा पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने को बताया.
कुमार ने बताया कि एक-दो दिन में तेज हवा चलने का अनुमान है. उसके बाद ही वायु प्रदूषण में कमी आएगी.
दिल्ली सरकार ने स्कूलों से खुले में होने वाली सभी गतिविधियां रोकने को कहा
दिल्ली सरकार ने बीते बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि प्रदूषण की गंभीर स्थिति बने रहने तक खुले में होने वाली सभी गतिविधियां रोक दें.
उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने यह भी कहा कि स्थिति बिगड़ने पर सरकार स्कूल बंद करने के बारे में विचार कर सकती है.
शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को भेजे पत्र में कहा, ‘बाहर और प्रदूषित वातावरण में होने वाली गतिविधियों का बच्चों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक खराब प्रभाव हो सकता है. सरकारी के साथ ही सभी निजी स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि प्रदूषण की स्थिति गंभीर बने रहने तक खुले में आयोजित होने वाली कोई भी गतिविधि नहीं हों.’
इसके अलावा स्कूलों ने अभिभावकों से कहा है कि वे अपने बच्चों को मास्क लगाकर स्कूल भेजें. स्कूलों ने इसके साथ ही खुले में होने वाली गतिविधियां अंदर स्थानांतरित कर दी हैं. शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा, ‘हम स्कूल बंद करने के बारे में कोई निर्णय नियमित स्थिति के आधार पर लेंगे. जब जरूरत उत्पन्न होगी, हम यह कदम उठाएंगे.’
नवंबर 2017 में हवा की गुणवत्ता खराब होने की वजह से स्कूलों को सरकार ने कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)