अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई में भारत के पक्ष में फैसला देते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी और कहा था कि पाकिस्तान जाधव को दी गई मौत की सज़ा पर समीक्षा करे. जाधव को पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया.
193 देशों की सदस्यता वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की रिपोर्ट पेश करते हुए यूसुफ ने कहा, ’17 जुलाई के अपने फैसले में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख न्यायिक अंग ने पाया कि पाकिस्तान ने वियना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया था और इस मामले में उचित उपाय किए जाने बाकी थे.’
मालूम हो कि यूसुफ की अगुवाई वाली पीठ ने कुलभूषण सुधीर जाधव की सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार का आदेश दिया था. यूसुफ ने महासभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए जाधव मामले में अदालत के फैसले के कई पहलुओं पर विस्तार से बताया.
यूसुफ ने कहा कि उनके आदेश के बाद न्यायालय को पाकिस्तान से एक अगस्त 2019 की तारीख वाला एक ज्ञापन मिला, जिसमें उसने 17 जुलाई के आदेश की पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता जताई थी.
यूसुफ ने कहा, ‘खासतौर से पाकिस्तान ने यह कहा कि जाधव को वियना संधि के तहत उनके अधिकारों के बारे में तुरंत बताया गया और इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के उच्चायुक्त को उनसे मिलने के लिए दो अगस्त, 2019 को आमंत्रित किया गया.’
हालांकि, दो अगस्त 2019 को होने वाली यह भेंट भारत और पाकिस्तान के बीच मुलाकात की शर्तों को लेकर मतभेद के चलते नहीं हो सकी. जाधव को आखिरकार दो सितंबर को दूतावास तक पहुंच मिली.
मालूम हो कि 17 जुलाई, 2019 को आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी और कहा था कि पाकिस्तान को जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए.
हालांकि कोर्ट ने कुलभूषण जाधव की रिहाई की मांग को खारिज कर दिया था. आईसीजे के 16 में से 15 जजों ने भारत के हक में फैसला दिया था. कोर्ट ने आईसीजे के क्षेत्राधिकार पर पाकिस्तान के ऐतराज को भी खारिज कर दिया.
जाधव को 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था और पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 2017 में उन्हें जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
इस फैसले के खिलाफ भारत ने मई 2017 में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद आईसीजे ने अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी.
भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच नहीं देने के लिए पाकिस्तान पर वियना संधि और मानवाधिकार नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था. भारत की दलील थी कि उसके नागरिक को दूतावास तक पहुंच नहीं मुहैया कराई गई, जो 1963 की वियना संधि का उल्लंघन है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)