महाराष्ट्र में शिवाजी की मूर्ति का ढहना: ‘फुले ने शिवाजी को मराठा शूद्र सम्राट के रूप में स्थापित किया था’

महाराष्ट्र के समाज में शिवाजी की छवि का मात्र एक संस्करण मौजूद नहीं है. महाराष्ट्र के दलितों के लिए शिवाजी 'मराठा शूद्र सम्राट' है, न कि बाल गंगाधर द्वारा प्रचारित किए गए 'चितपावन मराठा नरेश'.

20वीं पशुधन गणना में मोदी सरकार ने जाति के आंकड़े क्यों एकत्र किए थे?

यदि जाति का ब्योरा जुटाने से देश की एकता और अखंडता को कोई ख़तरा है तो भाजपा ने यह ब्योरा क्यों इकट्ठा किया? चूंकि मोदी सरकार ने 20वीं पशुगणना के तहत गाय, भैंस आदि की संख्या को सार्वजनिक कर दिया लेकिन जातियों के आंकड़े को सार्वजनिक नहीं किया.

नई सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक संभावनाओं की तलाश करती है ‘बॉडी ऑन द बैरिकेड्स’

पुस्तक समीक्षा: जेएनयू प्रोफेसर ब्रह्म प्रकाश की किताब 'बॉडी ऑन द बैरिकेड्स- लाइफ, आर्ट एंड रेसिस्टेंस इन कंटेंपररी इंडिया’ पन्ना-दर-पन्ना समझाती है कि फासीवाद के इस दौर में कभी भूमि सुधार की मांग करने वाले लोग अब राज्य द्वारा उनके घरों पर बुलडोजर चलाने के आपराधिक कृत्य का विरोध तक नहीं कर पा रहे हैं.

भीम आर्मी का भविष्य क्या है

चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा स्थापित भीम आर्मी लगातार दलितों से जुड़े मुद्दों को उठाने का दावा करती रही है, लेकिन क्या बहुजन समाज को इस पर भरोसा है?

नीमका: इक्कीसवीं सदी में उत्तर भारत के गांवों के समाजशास्त्र का एक नमूना

आंबेडकर गांवों को भारतीय गणतंत्र की 'इकाई' मानने से इनकार करते हैं, क्योंकि उनके अनुसार गांव में सिर्फ एक समान ग्रामीण नहीं रहते बल्कि 'अछूतों' का 'छूतों' से विभाजन साफ दिखाई देता है. ग्रेटर नोएडा में भारत सरकार द्वारा 'आदर्श गांव' घोषित नीमका में 18 अप्रैल को आंबेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने की घटना के बाद दलित समुदाय पर लगे आरोपों में यही विभाजन स्पष्ट नज़र आता है.