इस तरह के पागलपन और दरिंदगी के आलम में हमारा पूरा वजूद सुन्न पड़ जाता है. एक मायूसी भरा सन्नाटा सबको अपनी चपेट में ले लेता है. मगर फिर एक मुकाम वो भी आता है, जहां यही मायूसी एक भयानक गुस्से में तब्दील हो जाती है.
इस तरह के पागलपन और दरिंदगी के आलम में हमारा पूरा वजूद सुन्न पड़ जाता है. एक मायूसी भरा सन्नाटा सबको अपनी चपेट में ले लेता है. मगर फिर एक मुकाम वो भी आता है, जहां यही मायूसी एक भयानक गुस्से में तब्दील हो जाती है.