हमनवाई हो न हो, विश्वास ज़रूर हो 

पुस्तक समीक्षा: प्रेम में अधिकार और विश्वास का सवाल हमेशा से उपस्थित रहा है. सोशल मीडिया के दौर में ये भाव किस तरह परिवर्तित हुए हैं, तसनीम खान का उपन्यास इस नए बदलाव की कथा है.