राम राज्य अपने आप नहीं आएगा, इसके लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रयास करने होंगे. सभी के लिए न्याय चाहिए होगा. लिंग, जाति, समुदायों के बीच समता लानी होगी. सभी के लिए उचित कमाई वाले रोज़गार, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं और माहौल चाहिए होगा. लेकिन सिर्फ राम का आह्वान करने से ये नहीं होगा.
भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ से दो हज़ार रुपये मूल्यवर्ग के नोट को वापस लेने के निर्णय को सही ठहराने के लिए जो भी तर्क दिए गए हैं, उनमें से कोई भी मान्य नहीं है.
बजट 2023-24 का लोकलुभावनवाद यह है कि यह दिखने में तो समाज के हर वर्ग, चाहे वे स्त्रियां हों, जनजातियां, दलित, किसान या फिर सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम, को कुछ न कुछ देने की बात करता है, लेकिन घोषणाओं का तभी कोई अर्थ होता है, जब हर किसी के लिए लिए पर्याप्त फंड का आवंटन भी हो.
संसद द्वारा तीन कृषि क़ानून निरस्त करने से किसानों की कोई मांग पूरी नहीं होगी- वे बस वहीं पहुंच जाएंगे, जहां वे यह क़ानून बनाए जाने से पहले थे.