वीडियो: इतिहासकार और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के अध्यापक ज्ञान प्रकाश की किताब 'इमरजेंसी क्रॉनिकल्स' का हिंदी संस्करण 'आपातकाल आख्यान' नाम से प्रकाशित हुआ है. इस किताब के मद्देनज़र भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय और बहुसंख्यक शासन पर नियंत्रण और संतुलन को लेकर उनसे द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
हालिया सालों में कई दक्षिण एशियाई देशों में हिंसक तरीके से सरकारें गिराई गई हैं. अपने पड़ोस में भारत की कूटनीतिक विफलताएं क्या रहीं? क्या भारत कुछ अलग कर सकता था? इस बारे स्वतंत्र पत्रकार और विदेश मामलों की विशेषज्ञ निरुपमा सुब्रमण्यम से द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
वीडियो: देश के अग्रणी विचारकों में से एक आशीष नंदी का मानना है कि उनके जैसे लोग 2014 के चुनावों के परिणामों का अनुमान नहीं लगा पाए थे. द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज के साथ बातचीत में उन्होंने नरेंद्र मोदी, गोपाल गोडसे और मदनलाल पाहवा के साथ अपने प्रसिद्ध साक्षात्कारों को याद किया.
कश्मीर का भारत में विलय सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जिसे दैनिक स्तर पर अंजाम दिए बगैर काम नहीं चलेगा.
दक्षिणपंथी कश्मीर को मुस्लिम आक्रांता की भूमि घोषित कर इसका भारत से अलगाव गहरा कर रहे हैं. पिछले पांच वर्षों में कश्मीर की भारत से खाई बढ़ गई है.
अगस्त 2019 में दावे किए जा रहे थे कि बहुत जल्द पंडित लौटकर कश्मीर आ जाएंगे, बाकी हिंदुस्तानी भी पहलगाम और सोनमर्ग में ज़मीन ख़रीद सकेंगे. लेकिन हालात ऐसे बिगड़े कि घाटी में बचे रह गए पंडित भी अपना घर छोड़कर जाना चाह रहे हैं.
कश्मीर में इस वक्त दो भावनाएं साथ बहती हैं: गहरा आक्रोश व अपमान, और घनघोर निराशा कि यह स्थिति अपरिवर्तनीय है. न पाकिस्तान आज़ादी दिला सकता है, न केंद्र की कोई आगामी सरकार 5 अगस्त से पहले की स्थिति बहाल कर पाएगी.
कश्मीर पर हो रही बहस से कश्मीरवासी अनुपस्थित है. उसके बग़ैर उसकी भूमि की नियति निर्धारित हो रही है. इस विडंबना के सहारे आप झेलम के पानी में उतर सकते हैं- यह नदी दोनों समुदायों की गर्भनाल से बंधी स्मृतियों और कसमसाती डोर में बंधी पीड़ाओं को लिए बहती है.
वीडियो: मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं. द वायर संवाद में उनके चालीस साल के संघर्ष, विस्थापित लोगों के जीवन, मुआवज़े के झूठ और गुजरात की कुछ कंपनियों को सरदार सरोवर परियोजना से अधिक लाभ मिलने के बारे में उनसे आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
वीडियो: कल्लोल भट्टाचार्जी वरिष्ठ पत्रकार हैं और उनकी हालिया किताब 'नेहरूज़ फर्स्ट रिक्रूट्स' में उन्होंने देश की आज़ादी के बाद के शुरुआती सालों में भारतीय विदेश सेवा की नींव पड़ने के बारे में बताया है. इस किताब को लेकर उनसे आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
वीडियो: मोहन भागवत की संघ परिवार में वर्तमान हैसियत क्या है? क्या संघ भाजपा पर नैतिक लगाम लगाता है या सत्ता के लोभ में मोदी-शाह के पीछे चुपचाप चलता है? वरिष्ठ पत्रकारों- राहुल देव और धीरेंद्र झा से आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
वीडियो: पच्चीस बरस बाद भी करगिल के प्रश्न मंडराते हैं. इतना बड़ा इंटेलिजेंस फेलियर कैसे हो गया? वायु सेना और थल सेना के बीच तालमेल देर क्यों हुई? बर्फीली पहाड़ियों पर हो रही लड़ाई लाइव मीडिया रिपोर्टिंग का स्टूडियो कैसे बन गई? करगिल युद्ध के समय उपमहानिदेशक रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा) एमसी भंडारी से आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
मंडी लोकसभा चुनाव: कंगना रनौत अक्सर ग़ैर-ज़िम्मेदार बयान देती नज़र आती हैं. यह स्वभाव का सूचक हो सकता है, लेकिन यह उस दुर्लभ अदाकारा का गणित भी हो सकता है जो पिछले 15 वर्षों में बगैर किसी सहारे के सिर्फ़ अपने बल पर बंबई के क्रूर फ़िल्म उद्योग में निर्भीक खड़ी रही है.
इस राज्य को भगवा बनाना चाहती भाजपा नहीं जानती कि देवदार के जंगल स्थानीय देवियों से अपनी प्राण-ऊर्जा हासिल करते हैं और बर्फ़ीले पर्वतों पर इस पृथ्वी के कुछ सबसे विलक्षण और प्राचीन बौद्ध विहार ठंडी धूप में चमकते हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा का ‘पीडीए’ आज उसी तरह केंद्र में है, जैसे कभी बसपा की ‘सोशल इंजीनियरिंग’ हुआ करती थी. सभी जातियों को एक साथ लाने की सपा की रणनीति लोकसभा चुनाव को नया समीकरण देती दिख रही है.