पुस्तक समीक्षा: राजीव भार्गव की ‘राष्ट्र और नैतिकता : नए भारत से उठते 100 सवाल ‘न केवल भारत के समकालीन नैतिक संकटों पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह हर उस भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है जो राष्ट्र के भविष्य को समझना और उसमें योगदान देना चाहता है.
मधुबनी पेंटिंग का प्रारंभिक इतिहास अगर चित्त (मन) की बात करता है, तो आधुनिक इतिहास वित्त की. एक समय महिलाएं ये चित्र आध्यात्मिक भाव से बनाती थीं और आत्मसंतोष प्राप्त करती थीं. अब इसका व्यवसायीकरण हुआ है, तो वित्त भी इससे जुड़ गया, जो सुखद है.
पुस्तक समीक्षा: अर्थशास्त्री परकाला प्रभाकर की 'नए भारत की दीमक लगी शहतीरें: संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख' न केवल भारतीय लोकतंत्र के वर्तमान राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य का विश्लेषण करती है, बल्कि बताती है कि देश के लोकतांत्रिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कौन से क़दम ज़रूरी हैं.