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अवनीश मिश्र

मोदी यह कहना बंद करें कि सवा सौ करोड़ जनता ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है

जनता से सलाह मांगना एक अच्छा विचार है, लेकिन प्रधानमंत्री को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में क्या बोलना है, इसके लिए जनता से सलाह मांगना, 15 अगस्त के भाषण के गंभीर काम को लोकप्रिय फरमाइशी कार्यक्रम में तब्दील कर देता है.

दिनकर: उजले को लाल से गुणा करने से बनने वाले रंग की कविता

रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था, ‘मैं जीवन भर गांधी और मार्क्स के बीच झटके खाता रहा हूं. इसलिए उजले को लाल से गुणा करने पर जो रंग बनता है, वही रंग मेरी कविता का है. मेरा विश्वास है कि अंततोगत्वा यही रंग भारत के भविष्य का रंग होगा.’

साढ़े चार आखर मनुष्यता का, पढ़े सो पंडित होय…

हजारी प्रसाद द्विवेदी सही मायने में पंडित थे. वैसे पंडित नहीं, जो शास्त्र और वेद को पढ़कर जड़ और हिंसक हो जाता है, बल्कि वैसे, जो कबीर की तरह प्रेम या मनुष्यता का ढाई आखर पढ़कर पंडित होता है.